बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन
आम आदमी को उन्ही की वजह से मिला था स्कूटर

भारतीय उद्योग जगत 12 फरवरी 2022 का दिन भूले नहीं भूलेगा। आज के दिन उस शख्स ने इस दुनिया को अलविदा कहा, जिसने कभी आम आदमी को भी स्कूटर पर चलने की ताकत दी थी। हम बात कर रहे हैं हमारा बजाज वाले राहुल बजाज की, जिन्होंने आम आदमी की पहुंच भी दोपहिया गाड़ी तक पहुंचा दी। पद्म भूषण के सम्मान से नवाजे जा चुके दिग्गज कारोबारी राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन (Rahul Bajaj passes away) हो गया है। 83 साल के राहुल बजाज लंबे समय से बीमार थे और कैंसर से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। राहुल बजाज ने दोपहर 2.30 बजे आखिरी सांस ली है। इस दौरान उनके परिवार के करीबी सदस्य उनके पास मौजूद थे। राहुल का जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। बजाज और नेहरू परिवार में तीन जनरेशन से फैमिली फ्रैंडशिप चली आ रही थी। राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे।
40 सालों तक रहे बजाज ऑटो के चेयरमैन
राहुल बजाज ने 1965 से लेकर 2005 तक यानी 40 साल तक बजाज ऑटो के चैयरमैन का पद संभाला और कंपनी को बुलंदियों तक पहुंचाया। उनके बाद 2005 में उनके बेटे राजीव बजाज ने कंपनी की बागडोर अपने हाथ ले ली। 2006 में वह राज्य सभा में सांसद के तौर पर चुने गए और 2010 तक देश की सेवा राजनीति में रहते हुए की। राजनीति की दुनिया में रहते हुए भी वह हर बात पर अपनी बेबाक राय देते रहे। 2005 के बाद भी वह नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन की भूमिका में रहे और 2021 में उन्होंने यह पद छोड़ा।
दिलचस्प कहानी बजाज की
बजाज ऑटो की स्थापना 1960 में हुई थी, जिससे पहले यह कंपनी बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन हुआ करती थी। हमारा बजाज की कहानी 1926 से शुरू होती है, जब जमनालाल बजाज ने कारोबार के लिए बछराज एंड कंपनी नाम की फर्म बनाई थी। उनकी मौत के बाद दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की। आजादी के बाद 1948 में विदेशों से पार्ट्स मंगाकर उन्होंने दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाईं।