मप्र कांग्रेस में सीएम पद को लेकर तकरार! अरुण यादव बोले- चुनाव के बाद ही तय होगा मुख्यमंत्री
मप्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां बढ़त जा रही हैं। वहीं, कांग्रेस में भी चुनाव को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। दरअसल, मप्र कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अभी से मतभेद सामने आने लगे हैं।

भोपाल। मप्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां बढ़त जा रही हैं। वहीं, कांग्रेस में भी चुनाव को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। दरअसल, मप्र कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अभी से मतभेद सामने आने लगे हैं।
एक तरफ कमल नाथ को चेहरा मानते हुए उनके पोस्टर पूरे प्रदेश में कई जगह लगाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन होगा। असंतोष के इस दौर की शुरुआत प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा के साथ हुई। पूर्व मंत्री एवं विधायक जीतू पटवारी नई कार्यकारिणी में कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं होने से नाराज हैं।
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बता दें कि देश में इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। कांग्रेस राज्य की सत्ता में पुरजोर तरीके से वापसी करने के प्रयास में लगी हुई है।
चुनाव के बाद ही तय होगा सीएम कौन : अरुण यादव
अरुण यादव के बयान से सियासी पारा गर्मा गया है। उनके बयान से नया विवाद खड़ा कर दिया है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन होगा। पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए यादव ने कहा था कि कांग्रेस में शुरू से तय है कि वह चेहरा घोषित नहीं करती। कमल नाथ सर्वमान्य अध्यक्ष हैं, पर मुख्यमंत्री कौन और कैसे बनेगा, यह चुनाव बाद तय होगा। सू्त्रों की मानें तो यादव को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी समर्थन है। हालांकि, शनिवार को मीडिया से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बारे में उनकी कोई बात नहीं हुई है।
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कमल नाथ और अरुण यादव के बीच है तनातनी
अरुण यादव के बयान को कमल नाथ से उनके आपसी संबंधों के हिसाब से भी देखा जा रहा है। बता दें कि कमल नाथ और अरुण यादव के बीच तनातनी लंबे समय से चल रही है। पहले अरुण यादव खंडवा लोकसभा का उपचुनाव यादव लड़ना चाहते थे, लेकिन कमल नाथ ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। हालांकि, इस पर बीजेपी ने भी कटाक्ष करने से चूक नहीं की है। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस में सर्कस चल रहा है।
प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं अरुण
मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के अरुण यादव बड़ा चेहरा माने जाते हैं। बता दें कि अरुण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। इसी के साथ-साथ अरुण यादव को राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है, लेकिन सीएम के चेहरे पर उनके बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इससे राज्य की सियासत गरमाई हुई है।
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जीतू पटवारी ने यह कहा
उधर, जीतू पटवारी का कहना है कि संगठन के गठन का अधिकार प्रदेश अध्यक्ष का है। सवाल कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का है तो मुझे राष्ट्रीय स्तर से जिम्मा सौंपा गया था। अधिवेशन में तय हुआ था कि पांच साल तक पद पर रहना है, उसके बाद स्वत: ही इस्तीफा देना है। अगर मैं उस परिधि में आऊंगा तो इस्तीफा दे दूंगा। संगठन की ओर से मुझे कार्यकारी अध्यक्ष नहीं होने की सूचना नहीं मिली है। जबकि, प्रदेश कांग्रेस इस पद को पुरानी कार्यकारिणी का बता रही है।