खुशखबर: छोटे कारोबारी व खुदरा दुकानदानों को ई-इनवॉयसिंग से मिल सकती है छूट
बिजनेस टू बिजनेस के सभी तरह के लेनदेन में ई-इनवॉइज लागू करने की तैयारी में थी सरकार, Government was preparing to implement e-invoice in all types of business to business transactions

देश के छोटे कारोबारी और खुदरा दुकानदारों के लिए यह खबर खुशखबरी साबित हो सकती है। सरकार जल्द ही सभी के लिए जीएसटी ई-इनवॉइस जरूरी बनाने की योजना को लागू करने से परहेज कर सकती है। सरकार की तैयारी बिजनेस टू बिजनेस यानी एक कारोबारी से दूसरे कारोबारी के बीच होने वाले व्यापार में सभी तरह के लेनदेन के लिए ई-इनवॉइस लागू करने की थी। मौजूदा समय में 50 करोड़ रुपये से अधिक के सालाना कारोबार पर ई-इनवॉइस जरूरी है। हालांकि, फिलहाल इसे छोड़ने पर विचार किया जा रहा है। विशेषज्ञों और हितधारक समूहों ने सरकार को सुझाव दिया है कि ई-इनवॉइस को सभी के लिए लागू करने से पहले इससे होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करना बेहतर होगा।
अभी जीएसटी पोर्टल पर पंजीकृत सालाना 50 करोड़ तक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इनवॉइस जेनरेट करना जरूरी है। इस साल 1 अप्रैल से इस सीमा को 20 करोड़ कर देने की तैयारी है। ऐसे में इसके दायरे में आने की वजह से अधिक से अधिक कारोबारियों को ई-इनवॉइस जेनरेट करना होगा।
लागू करना सबके लिए फायदेमंद नहीं
ई-इनवॉइस की न्यूनतम सीमा 20 करोड़ से घटाकर इसे सभी छोटे कारोबारियों पर लागू करने को लेकर सरकार कई बातों पर विचार कर रही है। वह इसके लिए मिले सभी सुझावों पर विचार कर रही है। विशेषज्ञों ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि छोटे कारोबारियों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन टैक्स देनदारी के लिहाज से उनकी हिस्सेदारी बेहद कम है। उनका कहना है कि ऐसे में सरकार यदि दुकानदारों पर बेवजह टैक्स नियमन का बोझ लादेगी तो इससे कारोबार में बाधा आने के साथ अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। साथ ही कारोबार सुगमता की राह में यह अड़चन पैदा करेगा।
न्यूनतम सीमा 20 करोड़ तक तय किया जाना तर्कसंगत
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की ओर से ई-इनवॉइस की न्यूनतम सीमा 20 करोड़ तक तय किया जाना तर्कसंगत है, लेकिन इससे नीचे जाकर सभी छोटे लेनदेन को इसके दायरे में लाना सही नहीं है। टैक्स सलाहकार का कहना है कि अंतिम उपभोक्ता अपनी किसी भी तरह की खरीद या बिक्री पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम नहीं कर सकता है। ऐसे में उसके लिए ई-इनवॉइस नियम का पालन करना भी जरूरी नहीं होना चाहिए।
जाने क्या है ई-इनवॉइस
यह किसी भी प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के लिए एक विशिष्ट वाणिज्यिक इनवॉइस (बिल) का मिश्रण है। इसमें शुरूआत से अंत तक हर प्रक्रिया का आंकड़ा होता है। इसे प्राप्तकर्ता बिजनेस को जीएसटी सिस्टम से सीधे हस्ताक्षरित इनवॉइस डाउनलोड करने के लिए सक्षम करके प्राप्त किया जा सकता है। अधिसूचित पोर्टल पर इनवॉइस विवरण की रिपोर्टिंग और रेफरेंस नंबर जेनरेट करना इसकी विशेषताओं में शामिल है।