रीवा जिले में केवल 6 महीने 16 दिनों में 223 लोग साँप के काटने के बाद अस्पताल पहुंचे। यह प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है। विशेषज्ञों ने झाड़फूंक छोड़कर समय पर इलाज की दी सलाह।
By: Star News
Jul 19, 202517 hours ago
रीवा, स्टार समाचार वेब
वैसे तो बारिश के मौसम में ही स्नेक बाइट के मामले बढ़ते हैं लेकिन रीवा ऐसा जिला है। जहां साल भर स्नैक बाइट के मामले सामने आते हैं। सांप से लोगों को खतरा बढ़ गया है। सिर्फ 6 महीने 16 दिन में ही 223 लोग सांप के काटने से अस्पताल पहुंच गए हैं। वहीं यदि प्रदेश की बात करें तो रीवा इस मामले में दूसरे पायदान पर है। पहले नंबर पर सागर हैं। यहां इतनी अवधि में ही 311 मामले पहुंच चुके हैं।
आपको बता दें कि लोगों ने वन्यजीवों के घरों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। कोई भी जगह अब नहीं बची जहां आबादी न हो। जंगल में भी लोगों ने कब्जा कर लिया है। गांव के खेत, मैदान सभी जगह घर बनाए जा रहे हैं। इसके कारण सांपों का भी दखल मानव आबादी में बढ़ता जा रहा है। बारिश के सीजन में सांप के काटने के सबसे अधिक प्रकरण सामने आते हैं लेकिन रीवा जिला ऐसा हैं, जहां हर महीना एक जैसा है। बारिश के मौसम के अलावा भी अन्य सीजन में भी यहां सांप के काटने के प्रकरण सामने आते रहे हैं। यही वजह है कि सिर्फ 6 महीने और 16 दिनों में ही रिकार्ड तोड़ स्रैक बाइट के प्रकरण अस्पताल पहुंचे हैं। स्कैन बाइट के मामले सबसे ज्यादा गांव में ही सामने आते हैं। इसमें लोग झाड़फूंक के चक्कर में फंसे रह जाते हैं और लोगों की जान चली जाती है। ऐसे में यदि समय रहते लोग अस्पताल पहुंच जाए तो कईयों की जान बच जाए।
इसलिए चली जाती है जान
90 फीसदी स्नैक जहरीले नहीं होते। सिर्फ 10 फीसदी ही जहरीले होते हैं लेकिन लोग सांप काटने के बाद इतने दहशत में आ जाते हैं कि उनकी जान चली जाती है। रीवा में भी सांप काटने को लेकर अलग अलग तरह की भ्रांतियां है। यहां सांपों के रंग के आधार पर उनके जहरीले होने की कहानियां बताई जाती हैं। इसके कारण भी लोग सांप काटने से काफी दहशत में आ जाते हैं और वह अस्पताल जाने की जगह इधर-उधर भटकते हैं, यही वजह है कि उपचार में देरी के चलते जान चली जाती है।
सांप काटने पर यह बिल्कुल न करें
यदि आपको सांप काटता है तो बिना देरी किए किसी भी सरकारी अस्पताल में पहुंचे। सभी सरकारी अस्पताल में सरकार ने एंटी स्कैन बाइट इंजेक्शन की उपलब्धता करा रखी है। इसके अलावा सांप काटने पर काटी गई जगह पर टाइट रस्सी से न बांधे। इसके कारण भी सांप का जहर तेजी से फैलता है। सांप के काटने के बाद प्रभावित व्यक्ति पर नजर रखें। उसके हाव-भाव भी सांप के जहरीले होने की संभावनाओं को व्यक्त कर देते हैं।
यदि पलक गिरने लगे तो तुरंत अस्पताल पहुंचे
जहरीला सांप काटने पर संबंधित व्यक्ति सुस्त पड़ने लगता है। उसे नींद आने लगती है। आंखों की पलक अपने आप गिरने लगती है। पलक उठाने में दिक्कतें आती हंै। इसके अलावा सांप जिस जगह पर काटता है। उस जगह पर खून का रिसाव भी लगातार होता है। पेशाब का रंग भी बदल जाता है। ऐसा यदि हो तो तुरंत अस्पताल पहुंचे।
90 फीसदी सांप जहरीले नहीं होते। सांप काटने पर तुरंत अस्पताल जाकर एंटी डोज लगवाएं। काटी गई जगह पर रस्सी से बांधने की गलती न करें। ऐसे में जहर तेजी से चढ़ता है। यदि सांप काटने के बाद पलक गिरने लगे तो मामला गंभीर हो जाता है। तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। बारिश के दिनों में ऐसी जगह जाने से बचें जहां सांप आदि के होने की संभावना ज्यादा है। गांव आदि मे ऊंचे बूट आदि पहन कर चलें।
डॉ. मनोज इंदूरकर, मेडिसिन स्पेशलिस्ट