गाजा के एकमात्र कैथोलिक चर्च होली फैमिली पर हुए हमले में पादरी गैब्रियल रोमानेली समेत कई लोग घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला इजरायली टैंक से किया गया। पोप फ्रांसिस से जुड़े रहे रोमानेली इस चर्च में शरण ले रहे लोगों की देखभाल कर रहे थे।
By: Sandeep malviya
Jul 17, 20252 hours ago
गाजा पट्टी। गाजा के एकमात्र कैथोलिक चर्च होली फैमिली पर हुए हमले में पादरी गैब्रियल रोमानेली समेत कई लोग घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला इजरायली टैंक से किया गया। पोप फ्रांसिस से जुड़े रहे रोमानेली इस चर्च में शरण ले रहे लोगों की देखभाल कर रहे थे। इस्राइल और हमास के बीच जारी युद्ध में अब तक 58,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। गाजा पट्टी में जारी युद्ध की विनाशकारी तस्वीरें एक बार फिर सामने आई हैं। इस बार हमला हुआ है गाजा के एकमात्र कैथोलिक चर्च होली फैमिली चर्च पर, जहां गुरुवार सुबह की गई एयरस्ट्राइक में कई लोग घायल हो गए। घायलों में चर्च के पेरिश पादरी फादर गैब्रियल रोमानेली भी शामिल हैं, जो पोप फ्रांसिस के करीबी माने जाते थे और युद्ध के दौरान उनसे नियमित बातचीत करते थे।
चर्च के अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला संभवत: एक टैंक शेलिंग के जरिए हुआ। हमले में चर्च की इमारत को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है। फिलहाल इस पर इस्राइली सेना की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
पोप के करीबी थे घायल पादरी फादर रोमानेली
फादर गैब्रियल रोमानेली का नाम उन लोगों में आता है जो गाजा में शांति की आवाज बने रहे। उनकी पोप फ्रांसिस से नजदीकी ऐसी थी कि पोप ने युद्ध के दौरान अंतिम 18 महीनों में कई बार गाजा स्थित इसी चर्च में कॉल कर लोगों की स्थिति की जानकारी ली थी। फादर रोमानेली उन कॉल्स का अहम हिस्सा रहे हैं। गाजा में रहने वाले कई नागरिक इस चर्च में शरण लिए हुए थे, क्योंकि यह जगह अभी तक अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जा रही थी। इस हमले ने अब वहां छिपे हुए लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।
चर्च पर हमला धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर उठाता सवाल
होली फैमिली चर्च गाजा का एकमात्र कैथोलिक चर्च है। इस पर हुआ हमला यह दशार्ता है कि अब धार्मिक स्थल भी युद्ध की चपेट से बाहर नहीं हैं। यहां पहले महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शरण लिए हुए थे। चर्च पर हमला अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत गंभीर चिंता का विषय बनता है। इस हमले के बाद मानवाधिकार संगठनों और धार्मिक संस्थानों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आने की संभावना है।