भारत में पहली बार यात्री विमान बनने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने रूसी कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉपोर्रेशन के साथ करार किया है। ये दोनों एयरोस्पेस कंपनियां मिलकर भारत में ही एसजे-100 जेट बनाएंगे। दोनों कंपनियों ने इसके लिए मेमोरेंडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए हैं।
By: Arvind Mishra
Oct 28, 20251:46 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत में पहली बार यात्री विमान बनने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने रूसी कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉपोर्रेशन के साथ करार किया है। ये दोनों एयरोस्पेस कंपनियां मिलकर भारत में ही एसजे-100 जेट बनाएंगे। दोनों कंपनियों ने इसके लिए मेमोरेंडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस और भारत के बीच यह नया करार, अमेरिका के लिए एक और झटके से कम नहीं है। दरअसल, नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। एचएएल और रूस की पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने एसजे-100 नागरिक विमान के उत्पादन के लिए एक अहम समझौता किया है।
एचएएल भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की अग्रणी विमानन कंपनी है। एचएएल भारतीय वायुसेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण भी कर रही है। एचएएल के मुताबिक यह समझौता 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में किया गया। यहां एचएएल के प्रभात रंजन और यूएसी रूस के ओलेग बोगोमोलोव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एचएएल के सीएमडी डॉ. डीके सुनील और यूएसी के डायरेक्टर जनरल भी उपस्थित थे।
एसजे-100 एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी कम्यूटर एयरक्राफ्ट है। इसका उपयोग क्षेत्रीय और शॉर्ट-हॉल यात्राओं के लिए किया जाता है। अब तक दुनियाभर में 200 से अधिक विमान निर्मित किए जा चुके हैं। इन्हें 16 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह विमान भारत की उड़ान योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने में गेम चेंजर साबित होगा। समझौते के तहत, एचएएल को भारत में घरेलू ग्राहकों के लिए एसजे-100 विमान का निर्माण करने का विशेष अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही भारतीय विमानन इतिहास में यह एक नया अध्याय जुड़ रहा है।
एचएएल का मानना है कि यह समझौता भारत और रूस के बीच दशकों से चली आ रही विश्वास और तकनीकी साझेदारी का प्रमाण है। विशेष बात यह है कि यह पहली बार होगा जब भारत में एक संपूर्ण यात्री विमान का निर्माण किया जाएगा। इससे पहले, भारत में एचएएल द्वारा निर्मित एव्रो एचएस-748 विमान का उत्पादन 1961 से 1988 तक हुआ था। अगले 10 वर्षों में भारत को 200 से अधिक ऐसे विमानों की जरूरत होगी, जो क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करेंगे।
भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित पर्यटन स्थलों के लिए 350 अतिरिक्त विमानों की मांग अनुमानित है। इस प्रकार, एसजे-100 परियोजना भारत की वाणिज्यिक विमानन जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात क्षमता भी विकसित करेगी। एसजे-100 विमान का भारत में निर्माण, नागरिक उड्डयन क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल भारत की तकनीकी क्षमता और औद्योगिक दक्षता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र को भी सशक्त बनाएगा।
दावा किया जा रहा है कि परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार अवसर सृजित होंगे। भारत वैश्विक विमानन उद्योग में एक नई पहचान बनाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक एचएएल और यूएसी का यह सहयोग भारत के विमानन इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। यह समझौता भारत को डिजाइन से लेकर उत्पादन तक पूर्ण क्षमता वाले नागरिक विमान निर्माता देशों की श्रेणी में लाने की दिशा में बड़ा कदम है।