डेनमार्क की यूरोपीय संघ अध्यक्षता ऐसे समय में आई है जब यूरोप जलवायु संकट, युद्ध, आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक मतभेदों से जूझ रहा है। वहीं रूस-यूक्रेन जंग के साथ डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ भी यूरोप के लिए अहम मुद्दा है।
By: Sandeep malviya
Jul 03, 20254 hours ago
आरहुस। डेनमार्क ने यूरोपीय संघ (ईयू) की छह महीने की अध्यक्षता संभाल ली है। अध्यक्षता की शुरूआत गुरुवार को हुई, जब डेनमार्क ने रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से पैदा हुई व्यापारिक उथल-पुथल का सामना करने के लिए पूरे यूरोप से एकजुट होने की अपील की। डेनमार्क की यूरोपीय मामलों की मंत्री मैरी बिएरे ने कहा, 'हमारे पास यूरोप की धरती पर युद्ध है। व्यापार युद्ध और नए टैरिफ सामने हैं, और अमेरिका जैसा करीबी सहयोगी अब अपने में सिमट रहा है। अब यूरोप को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।' इस दौरान प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन आरहुस शहर में उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल रहीं।
क्या है ईयू की अध्यक्षता?
यूरोपीय संघ में 27 देशों के बीच अध्यक्षता हर छह महीने में बदलती है। अध्यक्ष देश यूरोपीय संघ के कामकाज की प्राथमिकताएं तय करता है और सभी सदस्य देशों में तालमेल बैठाकर फैसले लेने में मदद करता है। डेनमार्क की अध्यक्षता का नारा है- 'बदलती दुनिया में एक मजबूत यूरोप'। 1973 में शामिल होने के बाद से डेनमार्क ने आठवीं बार यूरोपीय संघ की अध्यक्षता शुरू की है।
डेनमार्क की प्राथमिकताएं
सुरक्षा और रक्षा- रूस-यूक्रेन युद्ध चौथे साल में पहुंच गया है। नाटो का कहना है कि रूस तीन-पांच साल में फिर किसी यूरोपीय देश पर हमला कर सकता है। यूरोपीय संघ के देशों से कहा गया है कि वे रक्षा पर अपने जीडीपी का पांच फीसदीखर्च करें। डेनमार्क का लक्ष्य है कि 2030 तक यूरोप खुद अपनी रक्षा के लिए सक्षम हो।
यूक्रेन और मोल्दोवा की सदस्यता- डेनमार्क चाहता है कि यूक्रेन और मोल्दोवा जल्द यूरोपीय संघ का हिस्सा बनें। लेकिन हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान यूक्रेन की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं। डेनमार्क का कहना है कि हंगरी को मनाने के लिए सभी राजनीतिक और व्यावहारिक उपाय किए जाएंगे।
आर्थिक प्रतिस्पर्धा- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण व्यापारिक माहौल बदला है। यूरोपीय संघ अब भारत जैसे नए देशों से व्यापार समझौते कर रहा है। डेनमार्क का जोर है कि नौकरशाही को कम करके नवाचार को बढ़ावा दिया जाए।
जलवायु परिवर्तन- यूरोपीय संघ का लक्ष्य है 2050 तक जलवायु न्यूट्रल बनना। डेनमार्क 2040 के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करना चाहता है। रूस से ऊर्जा पर निर्भरता घटाना भी एक अहम मुद्दा रहेगा।
कृषि नीति में सुधार- किसानों के लिए यूरोपीय संघ नियमों को सरल और व्यवसायिक बनाना। नियमों की जटिलता कम करने पर बातचीत को अंतिम रूप देना।
प्रवासन नीति- डेनमार्क की प्रधानमंत्री पहले 'शून्य शरणार्थी' की बात कर चुकी हैं। यूरोपीय संघ अब उन देशों में 'रिटर्न हब' बनाना चाहता है जहां शरण न मिलने वाले प्रवासियों को भेजा जा सके। प्रवासन संधि अगले साल लागू होनी है, जिस पर चर्चा जारी रहेगी।