वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की हालिया रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि आतंकवादी संगठन और व्यक्ति अपनी गतिविधियों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर रहे हैं. ई-कॉमर्स, ऑनलाइन भुगतान सेवाओं और सोशल मीडिया के जरिए आतंकी कैसे धन जुटा रहे हैं और हमले कर रहे हैं, जानें इस विस्तृत रिपोर्ट में.
By: Star News
Jul 08, 2025just now
नई दिल्ली: स्टार समाचार वेब
वैश्विक आतंकवाद की फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी अब धन जुटाने और गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पारंपरिक तरीकों के बजाय आधुनिक तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर रहे हैं। Amazon जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खतरनाक सामानों की खरीदारी और PayPal जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल कर वे भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। FATF ने पुलवामा और गोरखनाथ हमलों को केस स्टडी के तौर पर पेश करते हुए बताया है कि कैसे इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया गया।
FATF की रिपोर्ट में 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए भीषण आतंकी हमले का विशेष उल्लेख है, जिसमें 40 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, इस आत्मघाती हमले में इस्तेमाल किए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) का एक महत्वपूर्ण घटक, एल्युमिनियम पाउडर (EPOM), Amazon जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से खरीदा गया था। इस पाउडर का उपयोग विस्फोट की तीव्रता को बढ़ाने के लिए किया गया था। यह पहली बार है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने स्पष्ट रूप से ई-कॉमर्स साइट के माध्यम से हमले की सामग्री की खरीद को प्रमाणित किया है।
भारतीय जांच एजेंसियों ने इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया था और 19 आरोपियों के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) और आतंकवादी फंडिंग से जुड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें सात विदेशी नागरिक भी शामिल थे, जिनकी चल-अचल संपत्तियों को जब्त किया गया था। यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की निगरानी की कमी का फायदा उठाकर आतंकवादी अपनी घातक योजनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
FATF की रिपोर्ट में अप्रैल 2022 में उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर में हुए आतंकी हमले की गहन जांच का भी जिक्र है। इस मामले में आरोपी एक आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट) समर्थक था, जिसने मंदिर परिसर में घुसकर सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया था और उसे घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने PayPal के माध्यम से कुल 669,841 रुपये (लगभग $7,736) का विदेशी फंड ट्रांसफर किया था। उसने इस प्रक्रिया के दौरान अपने आईपी एड्रेस को छिपाने और ट्रांजेक्शन की निगरानी से बचने के लिए वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) सेवाओं का सहारा लिया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी को लगभग 10,323 रुपये विदेशी स्रोत से प्राप्त हुए थे और उसने यह रकम ISIL समर्थकों को भेजी थी। जब PayPal को इन संदिग्ध ट्रांजेक्शनों की जानकारी मिली, तो उसने आरोपी का खाता तुरंत निलंबित कर दिया, जिससे आगे कोई अवैध लेनदेन न हो सके।
FATF ने अपनी रिपोर्ट में केवल आतंकी संगठनों की डिजिटल गतिविधियों पर ही नहीं, बल्कि राज्य-प्रायोजित आतंकवाद (State-Sponsored Terrorism) पर भी गहरी चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ सरकारें सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, रसद और सामग्री सहायता प्रदान कर रही हैं। भारत द्वारा बार-बार पाकिस्तान पर इस प्रकार के आरोप लगाए गए हैं कि वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह और वित्तीय मदद प्रदान करता है। भारत ने यह भी कहा है कि इसी वजह से पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालना आवश्यक था। FATF की रिपोर्ट इन दावों को बल देती है और कहती है कि कुछ आतंकवादी कृत्यों के पीछे सरकारों की भागीदारी या समर्थन की भी भूमिका रही है, जिसे अब वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
FATF का कहना है कि पिछले एक दशक में फिनटेक कंपनियों और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे आतंकी संगठनों के लिए इनका उपयोग करना आसान हो गया है। ऑनलाइन वॉलेट, प्रीपेड कार्ड, क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल बैंकिंग के माध्यम से आतंकवादी बिना भौगोलिक सीमाओं के पैसे भेज और प्राप्त कर रहे हैं। इस रिपोर्ट ने दुनिया भर की सरकारों और निजी फिनटेक कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और मजबूत करें ताकि आतंकवादी इन प्लेटफार्मों का दुरुपयोग न कर सकें।