पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनसीएचआर) ने देश की ईंट भट्टियों में हो रहे व्यवस्थित शोषण, मानवाधिकार उल्लंघन और लिंग आधारित हिंसा को उजागर किया है।
By: Sandeep malviya
Aug 27, 20254 hours ago
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनसीएचआर) ने देश की ईंट भट्टियों में हो रहे व्यवस्थित शोषण, मानवाधिकार उल्लंघन और लिंग आधारित हिंसा को उजागर किया है। पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मंगलवार को एक स्टडी रिपोर्ट जारी की, जिसमें ईंट भट्ठा मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचारों का खुलासा किया गया है। इस स्टडी का शीर्षक है- 'पंजाब की ईंट भट्टियों में शोषण और अत्याचार का पदार्फाश।' इसमें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से लेकर अपहरण और हत्या तक के गंभीर मामलों को दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला मजदूर सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। उन्हें बड़े पैमाने पर यौन उत्पीड़न, जबरदस्ती और जबरन शादी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। मजदूर असुरक्षित, गंदे और शोषणपूर्ण माहौल में बेहद गर्म या ठंडे मौसम में काम करते हैं। उन्हें कानूनी न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान किया जाता है और सामाजिक सुरक्षा जैसी कोई सुविधा नहीं दी जाती।
इस रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया कि किस तरह गहरी गरीबी ने लोगों को भट्ठियों में काम करने के लिए मजबूर किया। डॉन की रिपोर्ट में बताया गया कि 97 फीसदी मजदूर कर्ज के कारण मजबूरी में इस काम में आए। इनमें 90 फीसदी के पास लिखित अनुबंध नहीं है जिससे वे श्रम कानूनों की सुरक्षा से वंचित हैं और 70 फीसदी से अधिक परिवार एक ही छोटे कमरे में रहते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 92 फीसदी मजदूरों ने मानसिक उत्पीड़न की शिकायत की। कई मजदूरों ने मारपीट, अत्याचार और अपहरण की घटनाएं भी बताईं।
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि ईंट भट्ठा मजदूरों के साथ संगठित रूप से शोषण हो रहा है। खासकर महिलाओं के साथ लिंग आधारित हिंसा, कर्ज के जाल में फंसा कर काम करवाना और श्रमिक अधिकारों से वंचित रखना आम बात है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के दो बड़े ईंट भट्ठा क्षेत्रों फैसलाबाद और कसूर में किए गए शोध पर आधारित है। इससे पहले पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने 2025-26 के संघीय बजट पर चिंता जताई थी, जिसमें गरीब और कमजोर वर्गों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा बहुत कम दी गई है। आयोग ने यह भी कहा कि यह बजट उन निम्न आय वर्ग के लोगों की मदद नहीं कर पा रहा, जो 2022 से शुरू हुई महंगाई से अभी तक जूझ रहे हैं।