रिपोर्ट में कहा गया कि निकट भविष्य में महंगाई दर कम रहने की संभावना है, लेकिन तीसरी तिमाही से इसमें वृद्धि शुरू हो सकती है और चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आधार प्रभाव के कम होने पर यह 4 प्रतिशत के स्तर को पार कर सकती है।
By: Prafull tiwari
Aug 02, 202517 hours ago
नई दिल्ली। अनुकूल आधार और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण भारत में मुख्य महंगाई दर अगली दो तिमाहियों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रहने की उम्मीद है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई। केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, महंगाई में हालिया नरमी मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में कमी के कारण आई है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई जून 2025 में घटकर 2.1 प्रतिशत रह गई है, जो जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
रिपोर्ट में कहा गया कि निकट भविष्य में महंगाई दर कम रहने की संभावना है, लेकिन तीसरी तिमाही से इसमें वृद्धि शुरू हो सकती है और चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आधार प्रभाव के कम होने पर यह 4 प्रतिशत के स्तर को पार कर सकती है। वित्त वर्ष 26 के लिए रेटिंग्स एजेंसी को उम्मीद है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई औसतन लगभग 3.1 प्रतिशत रहेगी, जो आरबीआई के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम है। रिपोर्ट में कहा गया, "हालांकि, वित्त वर्ष 26 में कम आधार के कारण, वित्त वर्ष 27 में महंगाई लगभग 4.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।" जून में महंगाई में भारी गिरावट का कारण सब्जियों, दालों, मसालों और मांस सहित खाद्य और पेय पदार्थों में अपस्फीति थी।
हालांकि, खाद्य तेलों और फलों की कीमतों में दोहरे अंकों में महंगाई जारी रही। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आयात पर निर्भरता के कारण खाद्य तेल की ऊंची कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं और सीमा शुल्क में हालिया कटौती और खरीफ की अच्छी बुवाई से आने वाले महीनों में दबाव कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई आगामी अगस्त मौद्रिक नीति बैठक में दरों को यथावत रख सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और डॉलर के मजबूत होने के साथ, केंद्रीय बैंक पहले की दरों में कटौती के प्रभाव का आकलन करने के लिए वेट एंड वॉच का आउटलुक अपना सकता है। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत के एक्सटर्नल सेक्टर की स्थिति मजबूत बनी हुई है और विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर पर है और वित्त वर्ष 26 में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवाओं के बेहतर निर्यात से एक्सटर्नल सेक्टर को समर्थन मिलता रहेगा।