ईरान सरकार ने विपक्षी संगठन मुजाहिदीन-ए-खल्क (एमईके) के दो सदस्यों बेहरूज इस्लामलू और महदी हसानी को फांसी दे दी। दोनों पर मोर्टार लॉन्चर से स्कूल, सरकारी भवन और आवासीय इलाकों पर हमला करने का आरोप था। एक आरोपी तुर्की भागते वक्त हथियार और बम सामग्री के साथ पकड़ा गया था। न्यायपालिका ने उन्हें आतंकी साजिश में दोषी पाया।
By: Sandeep malviya
तेहरान । ईरान सरकार ने रविवार को सार्वजनिक और नागरिक स्थलों पर हमले करने के आरोप में विपक्षी संगठन मुजाहिदीन-ए-खल्क (एमईके) के दो सदस्यों बेहरूज एहसानी इस्लामलू और महदी हसानी को फांसी दे दी है। सरकार का आरोप है कि इन दोनों ने देश के आत्मिक मोर्टार लॉन्चर लेकर सरकारी भवन, स्कूल, आवासीय इलाकों पर हमला करने का दोषी पाया गया।
ईरान की न्यायपालिका की आधिकारिक वेबसाइट मिजान आनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, एहसानी 1980 के दशक से इस संगठन से जुड़ा था और एक बार जेल भी जा चुका था। जेल से रिहा होने के बाद उसने फिर से संगठन के लिए काम करना शुरू किया। उसे उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह तुर्की की सीमा पार करने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से हथियार, गोला-बारूद, बम बनाने की सामग्री और अपनी पहचान छिपाने के उपकरण मिले थे।
विदेश से मिली थी साजिश की जिम्मेदारी
वहीं सरकारी मीडिया का दावा है कि एहसानी को अल्बानिया में बैठे संगठन के नेताओं ने ईरान भेजा था, ताकि वह देश के अंदर आतंक फैलाने के लिए गुप्त नेटवर्क बना सके। वह सरकारी और आम लोगों को निशाना बनाने के लिए लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहा था।
बता दें कि इन दोनों लोगों पर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने, गुप्त जानकारी जुटाने और वीडियो रिकॉर्ड करके उन्हें संगठन के मीडिया चैनलों को भेजने के भी आरोप लगे। उन्हें राज्य से युद्ध, षड्यंत्र, आतंकवादी संगठन की सदस्यता और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर मामलों में दोषी ठहराया गया।