1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद मध्य प्रदेश में बसे 86 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक के सामने अब भारत छोड़ने का संकट खड़ा हो गया है। दशकों से भारत में रह रहे पूर्व सैनिक का वीजा हाल ही में समाप्त हो गया, जिसके चलते उन्हें सरकार की ओर से भारत छोड़ने का नोटिस मिला है।
By: Star News
Jun 12, 202521 hours ago
भोपाल। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद मध्य प्रदेश में बसे 86 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक के सामने अब भारत छोड़ने का संकट खड़ा हो गया है। दशकों से भारत में रह रहे पूर्व सैनिक का वीजा हाल ही में समाप्त हो गया, जिसके चलते उन्हें सरकार की ओर से भारत छोड़ने का नोटिस मिला है। यह सूचना मिलते ही उनका परिवार बेहद परेशान है और सरकारी मदद की गुहार लगा रहा है। पूर्व सैनिक पिछले 55 वर्षों से भारत में शांतिपूर्वक रह रहे है और उसका परिवार भी यहीं बस गया है। दरअसल, मप्र के बाघालाट जिले में छह दशक से भी ज्यादा समय से तिरोड़ी तहसील में रहने वाले 85 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग ची उर्फ राजबहादुर पर निर्वासन का खतरा मंडराने लगा है। केंद्र सरकार ने उनके बेटे विष्णु के मोबाइल पर 04 मई 2025 को पिता का वीजा समाप्त होने का मैसेज भेजा है। जिसके बाद पूरा परिवार कहीं पिता का निर्वासन ना हो जाए, इस बात से डरा हुआ है।
पूर्व चीनी सैनिक वांग ची ने स्थानीय निवासी सुशीला से शादी की। जिनसे उन्हें तीन बच्चे हैं, जिनमें बेटा विष्णु भी शामिल है। उनका एक बेटा, दो बेटियां, पोता-पोती सभी तिरोड़ी में ही रहते हैं। विष्णु कु अनुसार उनके पिता करीब 06 दशक से तिरोड़ी में ही निवास कर रहे हैं। उनके साथ कभी भी इस तरह की परेशानी नहीं आई, लेकिन जब वह पहली बार वर्ष 2017 में अपने परिवार से मिलने के लिए चीन गए, तब से उनके साथ वीजा लेने की परेशानी शुरू हुई।
नोटिस में यह कहा गया है कि वांग ची को भारत में अपने प्रवास को नियमित करने के लिए या भारत छोड़ने के लिए फॉरेनर रजिस्ट्रेशन आॅफिस यानी विदेशी पंजीकरण कार्यालय या जिले के एसपी कार्यालय में संपर्क करना है। हालांकि वांग ची के परिवार ने अब तक कहीं कोई संपर्क नहीं किया ह। वांग ची अब भी तिरोड़ी में ही हैं। मगर उनके परिवार को इस बात डर है कि कहीं सरकार और अधिकारी उनके पिता को भारत छोड़ने के लिए मजबूर ना कर दें।
वांग ची के बेटे विष्णु ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति होने के कारण वह पिता के लॉन्ग टर्म वीजा के लिए चीनी दूतावास में अप्लाई नहीं कर पाए। वह चाहते हंै कि उनके पिता यहीं पर रहें। वांग ची को वर्ष 1963 में भारतीय सेना से अरुणाचल प्रदेश में गिरफ्तार किया था। मार्च 1969 में अदालत के आदेश पर रिहा होने से पहले वह राजस्थान, पंजाब और यूपी की अलग-अलग जेलों में करीब सात वर्ष तक सजा काटते रहे। इसके बाद सरकार ने उन्हें मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोडी में छोड़ दिया। यहां वांग ची ने आटा चक्की का व्यवसाय शुरू कर दिया।
विष्णु ने बताया कि हर बार वीजा की अवधि को घटाया जाने लगा। पहले साल भर का वीजा मिला फिर 06 माह का और अब तीन-तीन माह का वीजा ही मिल पाता है। वह कहते हंै कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह हर बार 15 से 20 हजार खर्च कर तीन माह का वीजा प्राप्त करें। वह सरकार से गुजारिश करते हैं कि पिता को यहीं रहने दिया जाए। अगर तीन-तीन माह के वीजा के लिए पैसे मोटी रकम खर्च करने लगे तो उनका पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा।