Chhath Puja 2022: छठ महापर्व का दूसरा दिन, जानें इस दिन का महत्व और पूजा विधि
चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हो चुकी है। शनिवार को छठ महापर्व का दूसरा दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के बाद छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली पर जहां मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है वहीं छठ पर्व सूर्यदेव और षष्ठी मैया को समर्पित होता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है।

चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हो चुकी है। शनिवार को छठ महापर्व का दूसरा दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के बाद छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली पर जहां मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है वहीं छठ पर्व सूर्यदेव और षष्ठी मैया को समर्पित होता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है।
इन चार दिनों तक व्रत रखते हुए कई कठिन नियमों का पालन किया जाता है। छठ पूजा बिहार,बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य का मुख्य पर्व होता है। छठ पूजा का पर्व दिवाली के 6 दिनों बाद मनाया जाता है। इस सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
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छठ पूजा की तिथि
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:49
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022, सुबह 03:27
सूर्यास्त का समय: सायं 5:37 पर
छठ पूजा का धार्मिक महत्व
सूर्य उपासना का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार छठ पूजा माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार,हर वर्ष छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू हो जाता है छठ पूजा चार दिवसीय पर्व और उत्सव है। छठ पर्व के चार दिनों के दौरान भगवान सूर्य और उनकी बहन मां उषा की पूजा-अर्चना,अर्घ्य और मनोकामनाएं मांगी जाती हैं।
छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ षष्ठी मैया की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को दोनों का आशीर्वाद मिलता है। इन चार दिनों तक चलने वाले महापर्व पर व्रत,धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्य किए जाते हैं। छठ पूजा के दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विशेष परंपरा निभाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जहां पर सूर्य देव की आराधना डूबते हुए सूर्य को समर्पित करते हुए की जाती है। इसलिए यह त्योहार बहुत ही खास होता है।
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सूर्यदेव की उपासना, साधना, अर्घ्य और ज्योतिषीय महत्व
हिंदू धर्म में सूर्यदेव की उपासना, साधना, अर्घ्य और ज्योतिषीय महत्व होता है। सभी देवी-देवताओं में सूर्य देव ऐसे भगवान हैं जो प्रत्यक्ष रूप से मौजूद हैं। शास्त्रों में सूर्यदेव को इस समूचे जगत की आत्म माना गया है। सूर्य के प्रकाश से अंधकार दूर होता है और इनकी किरणों से सबी जीव-जंतुओं,वनस्पतियों और मनुष्यों को जीवन मिलता है। सूर्य की किरणों में कई तरह की बिमारियों को खत्म करने के गुण मौजूद होते हैं।
ज्योतिष में सू्र्यदेव का विशेष महत्व होता है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्यदेव उच्च के होते हैं ऐसे जातक तेजवान,गुणवान,आत्मविश्वास से भरे हुए,मान-सम्मान प्राप्त करने वाले और सेहतमंद होते हैं। वहीं अगर सूर्य देव की बहन छठ मैया की आराधना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार छठी मैया भगवान ब्रह्राा की मानस पुत्री और देवी कात्यायनी का स्वरूप है। छठ पूजा पर महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि के लिए कई घंटों का कठोर निर्जला व्रत रखती हैं।
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छठ पूजा और धार्मिक अनुष्ठान
सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पर्व लगातार चार दिनों तक चलता है। जिसमें हर एक दिन का विशेष महत्व होता है। छठ पर्व महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला यह सबसे कठिन व्रत में से एक होता है। इन चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व पर कई तरह धार्मिक अनुष्ठान चलते हैं। आइए जानते हैं छठ पूजा के हर एक दिन का क्या होता है महत्व और पूजा विधि।
छठ पूजा 2022 की तिथियां
दिन छठ पूजा अनुष्ठान तिथि
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर 2022, शनिवार
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर 2022, रविवार
छठ पूजा का चौथा दिन उषा अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022, सोमवार
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पहला दिन-नहाय खाए
दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाने वाले छठ महापर्व का पहला दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। छठ के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से बोला जाता है। नहाय खाय पर सभी व्रत रखने वाले भक्त सुबह जल्दी स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और शाकाहारी भोजन करते हैं। इस दिन शाम के समय जब व्रती भोजन ग्रहण कर लेता है तब उसके बाद ही घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।
दूसरा दिन- खरना
छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होती है। खरना का दिन सबसे कठोर व्रत का दिन होता है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करते हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर चावल और गुड़ से खीर बनाई जाती है। इसके अलावा इस दिन घी लगी रोटी को प्रसाद के रूप में सबको बांटा जाता है।
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तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। यहा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। यही छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ,चावल क लड्डू,गन्ना,मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। इस दिन जैसै ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। छठ पर्व के दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देने और आराधना का विशेष महत्व होता है।
चौथा दिन- ऊषा अर्घ्य
यह छठमहा पर्व का अंतिम दिन होता है और इसी के साथ छठ पर्व का समापन कर दिया जाता है। छठ पर्व के चौथे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उगते हुए सू्र्य को अर्ध्य दिया जाता है। फिर व्रती भगवान सूर्य देव और छठ मैया से घर परिवार के सभी सदस्यों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
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छठ पूजन सामग्री और पूजा विधि
छठ भगवान सूर्य की आराधना और उपासना का महापर्व है। भगवान सूर्यदेव और छठ मैय्या का आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान के साथ छठ पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं छठ पूजा के लिए किन-किन सामग्री की जरूर होती है। बांस की 3 टोकरी, एक सूप, थाली, गिलास, दूध, नारियल, हल्दी,चावल, सिंदूर, दीपक, सब्जी, शकरकंद, गन्ना, पान,सुपारी , नींबू, शहद, फल,फूल, मिठाई,कपूर आदि। इसके अलावा पूजा के प्रसाद के लिए ठेकुआ, गुड-चावल से बना खीर, हलवा, मालपुआ और चावल के लड्डू।
सूर्यदेव कैसे दें अर्घ्य
छठ पूजा में सूर्यदेव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस की टोकरी में रख लें। फिर सूप में प्रसाद को रखते हुए दीपक जलाएं फिर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर प्रणाम करें।