अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से देश के सभी स्कूलों के सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया है। यह कदम स्कूलों में आए दिन हो रही घटनाओं को लेकर उठाया गया है। यह ऑडिट 2021 में जारी सुरक्षा दिशा-निर्देशों और 2016 के आपदा प्रबंधन निर्देशों के अनुसार होगा।
By: Arvind Mishra
Jul 27, 202511:22 AM
देश में 54,000 से अधिक सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं। इन स्कूलों में लाखों बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। ओडिशा में 12,343, महाराष्ट्र में 8,071, पश्चिम बंगाल में 4,269, गुजरात में 3,857, आंध्र प्रदेश में 2,789, मध्य प्रदेश में 2,659, उत्तर प्रदेश में 2,238 और राजस्थान में 2,061 स्कूल बुरी हालत में हैं। उक्त आंकड़े सिर्फ देश के सरकारी स्कूलों के हैं। इसमें निजी स्कूलों के आंकड़े अगर जोड़ दिए जाएं तो ये संख्या लाख के पार हो जाएगी। आए दिन हादसे भी हो रहे हैं। हादसों में एमपी, यूपी, राजस्थान शीर्ष पर हैं। इधार, अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से देश के सभी स्कूलों के सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया है। यह कदम स्कूलों में आए दिन हो रही घटनाओं को लेकर उठाया गया है। यह ऑडिट 2021 में जारी सुरक्षा दिशा-निर्देशों और 2016 के आपदा प्रबंधन निर्देशों के अनुसार होगा। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखकर सरकारी और निजी दोनों स्कूलों की सुरक्षा जांच करने और दोषियों पर सख्त एक्शन का फरमान जारी किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से ऑडिट को अनिवार्य बताया गया है। यह कदम राजस्थान की उस घटना के बाद उठाया गया है, जब एक स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई और कई बच्चे मलबे में दब गए। शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्कूलों के सुरक्षा ऑडिट को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश और सुझाव की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी दी गई है। इसके तहत सभी स्कूलों को सुरक्षा आॅडिट का पालन करना होगा, जिसमें अग्नि सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और एक रिपोर्टिंग तंत्र भी शामिल है।
एक्स पर शिक्षा मंत्रालय के आधिकारिक हैंडल पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से एक पोस्ट शेयर किया गया है। इसमें लिखा गया है कि शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश जारी किया है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं के अनुसार स्कूलों और बच्चों से संबंधित सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों और छात्रों कोआपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण, और परामर्श एवं सहकर्मी नेटवर्क के माध्यम से मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्कूलों और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं और आपदा प्रबंधन दिशानिदेर्शों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए। फायर सेफ्टी, इमरजेंसी एग्जिट, इलेक्ट्रिक वायर और स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण देना सुनिश्चित किया जाए। इसमें इमरजेंसी मॉक ड्रिल, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हो। स्थानीय अधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियां) के सहयोग से ऐसे प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल स्कूल में आयोजित किए जाएं।
शारीरिक सुरक्षा के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जाए. इसके लिए काउंसिलिंग और सामुदायिक सहभागिता की पहल स्कूल में जरूरी है। बच्चों या युवाओं को संभावित नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी खतरनाक स्थिति या घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरण को दी जानी चाहिए। देरी, लापरवाही या कार्रवाई न करने की स्थिति में सख्त जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
माता-पिता, अभिभावकों, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने और स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों या बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिवहन के साधनों में असुरक्षित स्थितियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा विभागों, स्कूल बोर्डों और संबद्ध अधिकारियों से उपरोक्त उपायों को बिना किसी देरी के लागू करने का निर्देश दिया है।
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे इन निर्देशों को गंभीरता से लें। हर राज्य को अपने यहां के स्कूलों की स्थिति की जांच करनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी स्कूल सुरक्षा मानकों का पालन करें। समय-समय पर वह खुद स्कूलों की स्थिति का जायजा लेगा और अगर कहीं कमी पाई गई, तो जिम्मेदार लोगों को जवाब देना होगा।
धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री