9 अगस्त को भारत 'अगस्त क्रांति दिवस' मनाता है, जो 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक है। जानें महात्मा गांधी के 'करो या मरो' के ऐतिहासिक नारे और इस आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में, जिसने भारत की आजादी की नींव रखी।
By: Ajay Tiwari
Aug 05, 202511 hours ago
स्टार समाचार वेब. फीचर डेस्क
हर साल 9 अगस्त का दिन भारतीय इतिहास में 'अगस्त क्रांति दिवस' के रूप में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह दिन है, जब महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा देकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुंबई अधिवेशन में 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव पारित हुआ, और 9 अगस्त से यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीयों की सहमति के भारत को युद्ध में शामिल कर लिया था। इससे भारतीय नेताओं और जनता में भारी असंतोष था। इसके अलावा, क्रिप्स मिशन की विफलता ने अंग्रेजों के इरादों को स्पष्ट कर दिया था कि वे भारत को पूर्ण आजादी देने के बजाय केवल कुछ अधिकार देना चाहते थे। इन्हीं परिस्थितियों ने गांधी जी को एक निर्णायक आंदोलन शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा था, "मैं आपको एक छोटा सा मंत्र देता हूँ, वह है 'करो या मरो'। हम या तो भारत को आजाद कराएंगे या इस प्रयास में अपनी जान दे देंगे।" 9 अगस्त की सुबह होते ही, गांधी जी सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे यह आंदोलन नेतृत्वहीन हो गया, लेकिन इसने आम जनता को और भी ज्यादा प्रेरित किया।
बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, यह आंदोलन स्वतः स्फूर्त (self-motivated) हो गया। देश के हर हिस्से में लोग सड़कों पर उतर आए। छात्रों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए, मजदूरों ने हड़तालें कीं, और किसानों ने लगान देना बंद कर दिया। कई जगहों पर लोगों ने सरकारी इमारतों, पुलिस थानों और रेलवे स्टेशनों पर हमले किए, जिससे ब्रिटिश शासन की नींव हिल गई। आंदोलन की तीव्रता ऐसी थी कि ब्रिटिश सरकार को इसे दबाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हजारों लोगों को जेल में डाला गया, और कई लोगों को गोली मार दी गई।
भले ही भारत छोड़ो आंदोलन को ब्रिटिश सरकार ने बलपूर्वक दबा दिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव डाला। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया था कि अब भारत को लंबे समय तक गुलाम बनाए रखना संभव नहीं है। इसने भारतीयों के मन से अंग्रेजों का डर पूरी तरह खत्म कर दिया और आजादी की लड़ाई को अंतिम और निर्णायक चरण में पहुंचा दिया। इस आंदोलन के कारण ही ब्रिटिश सरकार को युद्ध के बाद भारत को आजादी देने पर विचार करना पड़ा, और अंततः 1947 में भारत आजाद हुआ।
अगस्त क्रांति दिवस हमें उन गुमनाम शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने बिना किसी नेता के मार्गदर्शन के अपने दम पर आजादी की लड़ाई लड़ी। यह दिवस हमें एकता, साहस और देश के प्रति समर्पण की भावना को बनाए रखने का संदेश देता है।