सिंगरौली जिले में क्रेशर संचालक शासन की गाइडलाइन को नजरअंदाज कर मनमानी से खदानें संचालित कर रहे हैं। धूल और डस्ट से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं, दमा और सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। क्रेशर संचालन के लिए जरूरी बाउंड्रीवाल, वृक्षारोपण और पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा। जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं।
By: Yogesh Patel
Aug 19, 20258:48 PM
हाइलाइट्स:
सिंगरौली, स्टार समाचार वेब
क्रेशर का संचालन करने के लिए शासन की ओर से गाइड लाइन जारी किया गया है लेकिन जिले में शासन की गाइड लाइन को नजर अंदाज कर दिया जाता है। क्रेशर संचालकों की तानाशाही रवैया से स्थानीय ग्रामीण धूल फांकने मजबूर हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी क्या मजाल कि इन नियमविरूद्ध संचालित हो रहे क्रेशर संचालको के विरुद्ध कार्रवाही करें। क्योंकि जिम्मेदारी अधिकारी को समय पर नजराना पहुंच जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल जिले का बना हुआ है।
गौरतलब हो कि जिले में संचालित हो रहे करीब 3 सैकड़ा से अधिक क्रेशर प्लांट ग्रामीणों के लिए आफत बन रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय लोग धूल से परेशान हैं बल्कि सांस व दमा के मरीजों की संख्या भी गांवों में बढ़ रही है। इस गंभीर समस्या की ओर जिम्मेदार अधिकारी गौर नही फरमा रहे हैं। बल्कि रसूखदार क्रेशर संचालकों के साथ सांठगांठ कर कारोबार करने के लिए पूरा सहयोग कर रहे हैं। क्रेशर से निकलने वाले धूल व प्रदूषण की वजह से ग्रामीणो का जीना मुश्किल हो गया है। प्रदूषण की वजह से ग्रामीण जनता आए दिन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन स्टोन क्रेशन संचालक सभी नियम कानून को दरकिनार करते हुए क्रेशर का संचालन कर रहे है। इस ओर विभाग के आला अधिकारी ध्यान नही दे रहे है। जिसकी सजा गांव सहित आसपास के लोगों और राहगीरों को भुगतनी पड़ रही है। पत्थरों के पीसने से उड़ने वाली धूल धुंध बनकर आसपास के वातावरण में छा जाती है। क्रेसर संचालन के लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं उनका उद्देश्य क्रेसर मशीनों के आसपास रहने वाले लोगों को इससे होने वाले प्रदूषण से बचाना है। क्रेसर संचालन का लाइसेंस देते समय में उक्त दिशा निर्देशों को स्पष्ट किया जाता है। इसके साथ ही क्रेसर संचालक द्वारा लाइसेंस लेने के लिए नियमों का पालन करने की लिखित अनुमति दी जाती है।
यह है गाइड लाइन
शासन द्वारा गाइड लाइन जारी किया गया है कि वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था के लिए स्टोन क्रेशर के चारों ओर बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही स्टोन क्रेशर के चारों ओर सघन वृक्षारोपण होना चाहिए तथा उत्सर्जन बिंदुओं पर जल का छिड़काव किया जाना चाहिए। साथ ही साथ स्टोन क्रेसर को कवर्ड किया जाना चाहिए। लेकिन संचालको द्वारा गाइड लाइन का पालन न कर मनमानी पर उतारू हैं।
मनमानी पर उतारू हैं क्रेशर संचालक
जानकारी के लिए बताते चले कि क्रेशर संचालको द्वारा शासन के द्वारा जारी गाइड लाइन का बिलकुल भी पालन नही किया जा रहा है बल्कि नियमों को धता बताते हुए धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। क्रेशर संचालकों द्वारा न तो स्टोन क्रेसर के चारों ओर बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया गया है न ही सघन वृक्षारोपण भी नही किया गया है। न ही स्टोल क्रेसर को कवर्ड भी नही किया गया है और न ही उत्सर्जन बिंदुओं पर पानी का छिड़काव कभी नही किया जाता है। स्थानीय ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग किया है।
गाइड लाइन की धज्जियां उड़ा रहे संचालक
आरोप है कि क्रेसरों के संचालन में जिलेभर में इसी तरह ही लापरवाही बरती जा रही है। क्रेसर संचालन का लाइसेंस जारी करने के बाद विभागों द्वारा कागजों में ही सत्यापक कर औपचाकिरताएं पूरी कर ली जाती है। जिले में चल रहे क्रेसर में से शायद ही कोई क्रेसर ऐस हो जहां निर्धारित नियमों का पालन किया जा रहा हो। जिसको लेकर खनिज अधिकारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।