देव दीपावली 2025 की तिथि (05 नवंबर), कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि जानें। दीपदान से महादेव और मां लक्ष्मी की कृपा पाएं।
By: Ajay Tiwari
Nov 04, 20254:17 PM
| देव दीपावली/कार्तिक पूर्णिमा | 05 नवंबर 2025 |
| पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 04 नवंबर, रात 10:36 बजे |
| पूर्णिमा तिथि समाप्त | 05 नवंबर, शाम 6:48 बजे |
| ब्रह्म मुहूर्त (पूजा के लिए) | सुबह 4:46 से 5:37 तक |
| गोधूलि मुहूर्त (दीपदान के लिए) | शाम 5:40 से 6:05 तक |
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक भयंकर राक्षस का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इस महान विजय के उपलक्ष्य में, सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव की आराधना की और पृथ्वी पर आकर दीपों से आकाश को आलोकित किया। तभी से, इस पर्व को 'देव दीपावली' या देवताओं की दिवाली कहा जाने लगा। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडितों के अनुसार, इस पवित्र दिन की गई पूजा और दीपदान व्यक्ति के जीवन से सभी कष्टों को दूर करके महादेव की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं।
देव दीपावली पर शुभ मुहूर्तों में पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ फल देता है।
पूजा का समय: देव दीपावली की पूजा प्रदोष काल में करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
आरंभ: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
शिव आराधना: घर में एक चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर शिवलिंग या महादेव की प्रतिमा स्थापित करें।
सनातन परंपरा में देव दीपावली पर दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा घाटों पर या अपने घर के आंगन/तुलसी के पास दीपक जलाना बहुत शुभ होता है।
दीपदान करने से जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है।
मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और भक्त के जीवन में कभी अंधकार नहीं रहता।
देव दीपावली केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि दान और सेवा का भी पर्व है।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना पापों का नाश करता है।
पंडित शर्मा के अनुसार, दान करने वाले व्यक्ति के घर में धन और अन्न की कमी कभी नहीं होती।
यह दिन आत्मा को शुद्ध करने और मन को आनंदित करने का एक पावन अवसर होता है।