सतना जिले के मैहर थाना क्षेत्र के हरनामपुर में जबरन धर्म परिवर्तन कराने का मामला सामने आया है। महिला शिकायतकर्ता ने बताया कि उनसे चूड़ी, बिंदी और सिंदूर उतरवाकर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाया गया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो महिलाओं सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया और मौके से क्रॉस व धार्मिक सामग्री जब्त की। मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू।
By: Yogesh Patel
Oct 27, 202510:30 PM
हाइलाइट्स:
सतना, स्टार समाचार वेब
मैहर थाना क्षेत्र के हरनामपुर इलाके में जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोपों ने रविवार को सनसनी फैला दी। मामला तब उजागर हुआ जब स्थानीय महिला ज्योति अहिरवार ने अपने साथ हुई घटना की जानकारी पुलिस को दी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो महिलाओं सहित तीन पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया है। पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच की जा रही है। मैहर में सामने आया यह प्रकरण धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सौहार्द दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है। कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि धर्म परिवर्तन व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा से ही वैध है। ऐसे में जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन का कोई भी प्रयास न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि समाज की एकता के लिए भी खतरा है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि आगे की कार्रवाई में क्या नया खुलासा होता है।
मौके से जब्त किया क्रॉस
शिकायत मिलते ही मैहर पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर प्राथमिक जांच की। मौके से कुछ धार्मिक प्रतीक क्रॉस (ईसाई धर्म का प्रतीक) और प्रार्थना से जुड़ी सामग्रियां जब्त की गईं। नगर पुलिस अधीक्षक मैहर महेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। यह जांच का विषय है कि धर्म परिवर्तन का यह प्रयास संगठित नेटवर्क का हिस्सा था या व्यक्तिगत स्तर पर किया गया।
पुलिस की सतर्कता से टला विवाद
घटना के बाद से हरनामपुर और आसपास के क्षेत्रों में तनाव का माहौल है। स्थानीय लोगों ने जबरन धर्म परिवर्तन की कोशिश पर कड़ी नाराजगी जताई है। वहीं, प्रशासन ने क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति न बन सके। सीएसपी महेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस हर स्तर पर सतर्क है और इलाके में कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत किसी को भी किसी धर्म में जबरन परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है। इस तरह की गतिविधियां पूर्णत: अवैध हैं और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
क्या है मामला?
शिकायतकर्ता देवधरा तालाब मैहर निवासी 32 वर्षीया ज्योति अहिरवार ने बताया कि उन्हें रविवार की सुबह लगभग 8 बजे वार्ड क्रमांक 22 निवासी लक्ष्मी शर्मा ने सविता विश्वकर्मा के माध्यम से अपने घर बुलाया था। ज्योति के अनुसार जब वे वहां पहुंचीं, तो घर के अंदर करीब 50 महिलाएं और लड़कियां पहले से मौजूद थीं। वहा उपस्थित सविता विश्वकर्मा और लक्ष्मी शर्मा ने कथित रूप से महिलाओं से कहा कि अपनी चूड़ी, बिंदी, सिंदूर और सिंगार सब उतार दो, बगल में बनी पानी की टंकी में बाल धो लो। आज से हम ईसा मसीह और ईसू गॉड फादर की प्रार्थना करेंगे। ज्योति ने बताया कि इस दौरान महिलाओं को धर्म परिवर्तन के लिए पैसे, कपड़े और घर देने का लालच दिया गया। विरोध करने पर उन्हें धमकाया गया और जबरन धर्म बदलने का प्रयास किया गया। घटना के दौरान हल्ला-गुल्ला सुनकर मोहल्ले के अन्य लोग मौके पर पहुंच गए और स्थिति को किसी तरह संभाला। इसके बाद शिकायतकर्ता ज्योति अहिरवार स्थानीय लोगों श्याम त्रिपाठी, शिव चौरसिया, भानु प्रताप सिंह और प्रमिला त्रिपाठी के साथ थाने पहुंचीं और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 और 5, भारतीय दंड संहिता बीएनएस की धारा 115(2) तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(उ) के तहत मामला दर्ज किया है। बताया गया कि पुलिस ने लक्ष्मी शर्मा, सविता विश्वकर्मा के अलावा शैलेन्द्र बंसल, योगेन्द्र साकेत व रामराज कुशवाहा को हिरासत में ले लिया है।
फारेंसिक जांच के लिए भेजे गए धर्म प्रतीक
यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है। धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर इस प्रकार के प्रयास समाज में वैमनस्य पैदा कर सकते हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी घटनाओं पर सख्त निगरानी रखी जाए और दोषियों को सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हरकत न करे। फिलहाल, पुलिस द्वारा बरामद किए गए धार्मिक प्रतीकों और सामग्रियों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस आयोजन में किसी बाहरी संस्था या समूह की भूमिका थी।