11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर पढ़ें उनके 50+ वर्षों के शानदार करियर, 'जंजीर' से मिली सफलता और 'केबीसी' से कमबैक की कहानी। जानें उन्हें क्यों कहा जाता है बॉलीवुड का शहंशाह।
By: Ajay Tiwari
Oct 11, 20253 hours ago
स्टार समाचार वेब. एंटरटेंमेंट डेस्क
हर युग में कुछ शख्सियतें ऐसी होती हैं, जो न सिर्फ अपने क्षेत्र को परिभाषित करती हैं, बल्कि पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन जाती हैं। भारतीय सिनेमा में यह स्थान निर्विवाद रूप से अमिताभ बच्चन को प्राप्त है। 11 अक्टूबर, 1942 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में जन्मे इस कलाकार का सफर, संघर्ष, सफलता और पुनरुत्थान की एक अविश्वसनीय गाथा है।
अमिताभ बच्चन, हिंदी साहित्य के महान कवि हरिवंश राय बच्चन और सामाजिक कार्यकर्ता तेजी बच्चन के पुत्र हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा शेरवुड कॉलेज, नैनीताल और किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई। अभिनय का जुनून उन्हें कलकत्ता (अब कोलकाता) में शिपिंग फर्म की नौकरी छोड़कर मुंबई ले आया।
साल 1969 में, फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से उनके अभिनय करियर की शुरुआत हुई। शुरुआती दौर में उन्हें अपनी लंबी कद-काठी और आवाज़ के कारण काफी संघर्ष करना पड़ा। कई फिल्में फ्लॉप हुईं, लेकिन 1973 में आई 'ज़ंजीर' ने सब कुछ बदल दिया।
'ज़ंजीर' ने अमिताभ को 'एंग्री यंग मैन' की उपाधि दी। यह किरदार उस दौर के युवा आक्रोश, बेरोजगारी और व्यवस्था से मोहभंग का प्रतीक बन गया। इसके बाद 'दीवार', 'शोले', 'डॉन', 'त्रिशूल', 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी फिल्मों ने उन्हें सफलता के ऐसे शिखर पर पहुँचाया, जहाँ से उन्होंने कई सालों तक राज किया। वह एक ऐसे अभिनेता बन गए, जिनके नाम पर फिल्में लिखी जाने लगीं।
चाहे वह 'शोले' का जय हो, 'डॉन' का रहस्यमय किरदार, या 'कभी-कभी' का संवेदनशील कवि, अमिताभ ने हर रोल में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी।
करियर के उतार-चढ़ाव और 1982 में फिल्म 'कुली' के सेट पर हुए जानलेवा हादसे के बाद भी, अमिताभ का जज़्बा कम नहीं हुआ। 90 के दशक के अंत में जब उनके करियर में थोड़ी शिथिलता आई, तो 2000 के दशक में उन्होंने एक बार फिर जोरदार वापसी की।
यह वापसी सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं थी। वर्ष 2000 में टेलीविजन गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के होस्ट के रूप में, उन्होंने एक नए माध्यम पर कब्जा कर लिया। उनकी सहजता, ज्ञान और संवाद शैली ने उन्हें हर भारतीय परिवार का हिस्सा बना दिया।
इसके बाद उन्होंने 'ब्लैक', 'पीकू', 'पिंक', 'बदला' और 'झुंड' जैसी फिल्मों में अपने उम्र के अनुरूप सशक्त और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाए। इन फिल्मों ने साबित कर दिया कि उम्र उनके लिए केवल एक संख्या है, और उनका अभिनय कौशल आज भी बेजोड़ है।
अमिताभ बच्चन को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है। उन्हें चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 12 बार फिल्मफेयर पुरस्कार (सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का रिकॉर्ड) प्राप्त हुआ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह सिनेमा के तीन अलग-अलग पीढ़ियों के साथ सफलतापूर्वक काम करने वाले शायद एकमात्र अभिनेता हैं।
अपने 83वें जन्मदिन पर भी, अमिताभ बच्चन का काम के प्रति समर्पण, अनुशासन (जो उनके 16 घंटे काम करने और हर रविवार 'जलसा' के बाहर प्रशंसकों से मिलने की परंपरा में दिखता है) और ऊर्जा अविश्वसनीय है।
अमिताभ बच्चन सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय हैं। उनके जन्मदिन पर, हम इस महान कलाकार के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
जन्मदिन मुबारक, महानायक!