जानें आस्था और आत्मसंयम का महापर्व छठ पूजा 2025 कब है। नहाय-खाय से शुरू होने वाले चार दिवसीय इस व्रत का महत्व, 36 घंटे के निर्जला व्रत के नियम और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की पूरी सूची।
By: Ajay Tiwari
Oct 25, 20254 minutes ago
छठ महा-पर्व, जो केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अटूट आस्था, श्रद्धा और आत्मसंयम का प्रतीक है, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान 28 अक्टूबर 2025 को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा।
यह महापर्व मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। दिवाली के ठीक छह दिन बाद आने वाला यह पर्व, प्रकृति और सूर्य देव की उपासना का अनूठा उदाहरण है।
छठ पर्व के पहले दिन, यानी नहाय-खाय के दिन, व्रत करने वाली महिलाएं पवित्र स्नान करती हैं और शुद्धता के साथ सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेती हैं। यह दिन शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है, जिसके बाद व्रत के कठोर नियम प्रारंभ हो जाते हैं।
छठ महापर्व में महिलाएं अत्यंत कठोर नियमों का पालन करते हुए लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत (बिना अन्न-जल) रखती हैं। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और कल्याण की प्रार्थना करना है।
जो महिलाएं पहली बार यह व्रत कर रही हैं, उनके लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक अनुशासित और पवित्र जीवनशैली का भी प्रतीक है, जिसमें तन और मन की शुद्धता सर्वोपरि होती है।
छठ पूजा में उपयोग होने वाली प्रत्येक सामग्री का विशेष महत्व है। यहाँ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की एक विस्तृत सूची दी गई है:
वस्त्र एवं पात्र:
व्रती और परिवार के लिए नए और साफ कपड़े।
प्रसाद रखने के लिए दो बड़ी बांस की टोकरियाँ (दउरी/डाला)।
सूर्य देव को अर्घ्य देने हेतु बांस या पीतल का सूप/बर्तन।
अर्घ्य के लिए दूध और गंगाजल रखने वाला गिलास, लोटा और थाली।
फल एवं कंद:
पांच पत्तेदार गन्ने के तने।
पानी से भरा नारियल।
केले का घौद, सेब, सिंघाड़ा, शकरकंद, सुथनी (रतालू), और अदरक का पौधा।
प्रसाद सामग्री:
चावल, गेहूं और गुड़।
ठेकुआ (गुड़ और गेहूं के आटे से बना प्रमुख प्रसाद)।
शहद और अन्य मिठाइयाँ।
हल्दी की गांठें और सुपारी।
पूजा हेतु अन्य सामग्री:
12 दीपक, अगरबत्ती, बत्तियां (रूई/कपास), कुमकुम और सिंदूर।
गंगाजल और दूध (अर्घ्य व स्नान हेतु)।
केले का पत्ता (पूजन स्थल की सजावट के लिए)।