सितंबर 2025 में देश भर में जांचे गए 112 दवाओं के सैंपल्स NSQ (मानक क्वालिटी से कम) पाए गए, जबकि छत्तीसगढ़ में एक नकली दवा भी मिली। जानें कौन सी दवाएं हुईं फेल और कैसे बचें। CDSCO कर रहा जांच।
By: Ajay Tiwari
Oct 24, 20257 hours ago
नई दिल्ली : स्टार समाचार वेब
देश में दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। सितंबर 2025 में की गई एक राष्ट्रव्यापी जांच में कुल 112 दवाओं के सैंपल्स क्वालिटी टेस्ट (गुणवत्ता परीक्षण) में 'नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी' (NSQ) यानी मानक गुणवत्ता से कम पाए गए। यह दर्शाता है कि ये दवाइयाँ मरीजों के इलाज में प्रभावी होने के बजाय उन्हें संभावित नुकसान पहुंचा सकती हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इन 112 NSQ सैंपल्स में से 52 की जांच केंद्रीय ड्रग्स लैब (Central Drugs Lab) ने की, जबकि बाकी 60 सैंपल्स को राज्य की लैब्स ने मानक से कम पाया। इस जांच के दौरान एक और गंभीर मामला सामने आया, जब छत्तीसगढ़ में एक दवा का सैंपल 'नकली' (Fake) पाया गया।
क्यों फेल हुईं दवाइयाँ?
एक अधिकारी ने बताया कि दवाइयों की गुणवत्ता जांच एक मासिक प्रक्रिया है। सितंबर में देश के कई शहरों से दवाइयों के सैंपल एकत्र किए गए थे। फेल होने वाली 112 दवाइयाँ एक या एक से अधिक गुणवत्ता मापदंडों पर खरी नहीं उतरीं। इनमें मुख्य कमी यह पाई गई कि दवा का मुख्य सक्रिय तत्व (Active Element) सही मात्रा में मौजूद नहीं था या उनमें कोई अन्य गुणवत्ता संबंधी कमी थी।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह समस्या केवल उन विशिष्ट बैचों (Batches) तक सीमित है जिनकी जांच की गई है। इसका यह मतलब नहीं है कि संबंधित कंपनियों की सभी दवाइयाँ खराब हैं। बाजार में उपलब्ध अन्य बैचों या दवाओं पर इसका असर नहीं बताया गया है। फेल होने वाली दवाओं में कई बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं।
जहरीले सिरप की घटनाओं के बाद जांच में तेजी
दवाइयों की गुणवत्ता जांच में यह तेजी मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में जहरीले कफ सिरप से कई बच्चों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद आई है। इन घटनाओं के बाद कई राज्य सरकारों ने तीन कफ सिरप की बिक्री पर भी रोक लगा दी थी। अब देश में दवाइयों की गुणवत्ता जांच के पूरी व्यवस्था को उन्नत (अपग्रेड) करने का एक प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में मिली नकली दवा
छत्तीसगढ़ में मिली नकली दवा का मामला बेहद गंभीर है। यह दवा एक ऐसी कंपनी ने बनाई थी जिसके पास उत्पादन का लाइसेंस ही नहीं था। नकली कंपनी ने बाजार को भ्रमित करने के लिए किसी दूसरी लाइसेंस्ड कंपनी का ब्रांड नाम इस्तेमाल किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और गहन जांच शुरू कर दी है।