जानें कैसे अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार 2025 के विजेता - जोएल मोकिर, पीटर हॉविट और फिलिप एगियॉन - ने समझाया कि इनोवेशन, तकनीक और 'क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन' दुनिया भर में जीवन स्तर और आर्थिक विकास को कैसे बढ़ाते हैं।
By: Ajay Tiwari
स्टॉकहोम. स्टार समाचार वेब
इस वर्ष का इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार तीन जाने-माने अर्थशास्त्रियों – जोएल मोकिर (अमेरिका), पीटर हॉविट (अमेरिका) और फिलिप एगियॉन (यूनाइटेड किंगडम) को दिया गया है।
नोबेल समिति ने इन विद्वानों को यह सम्मान इनोवेशन (नवाचार) के माध्यम से आर्थिक विकास की राह खोलने के उनके अभूतपूर्व कार्य के लिए दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कैसे तकनीक की तेज़ रफ्तार और उसके बदलाव हम सभी को प्रभावित करते हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से नए उत्पाद और उत्पादन के तरीके पुराने तरीकों की जगह लेते हैं, वह प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती। यही निरंतर चलने वाला चक्र ही सतत आर्थिक विकास का मूल है, जो दुनिया भर के लोगों के जीवन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को लगातार बेहतर बनाता है।
क्या मिलेगा पुरस्कार में
विजेता अर्थशास्त्रियों को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 10.3 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि, एक स्वर्ण पदक और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित होगा।
इतिहास के आईने में लगातार विकास की वजह
नोबेल समिति के अनुसार, जोएल मोकिर ने ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह बताया कि लगातार आर्थिक विकास आखिर कैसे संभव हो पाया। मोकिर ने तर्क दिया कि निरंतर नवाचार और सुधारों के लिए, केवल यह जानना पर्याप्त नहीं है कि कोई चीज़ काम करती है, बल्कि यह समझना भी ज़रूरी है कि वह क्यों काम करती है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्रांति से पहले, लोग अक्सर इस 'क्यों' को नहीं समझ पाते थे, जिससे नए आविष्कारों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना कठिन हो जाता था। इसके अलावा, मोकिर का मानना है कि किसी भी समाज का नए विचारों के लिए खुला होना और बदलावों को स्वीकार करने की उसकी क्षमता भी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1992 का 'रचनात्मक विनाश' मॉडल
फिलिप एगियॉन और पीटर हॉविट ने मिलकर इस बात की व्याख्या की कि आर्थिक विकास लगातार कैसे जारी रहता है। 1992 में, उन्होंने एक महत्वपूर्ण मॉडल प्रस्तुत किया जिसे 'क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन' या 'रचनात्मक विनाश' के नाम से जाना जाता है।
इस मॉडल का मूल सिद्धांत यह है कि जब भी कोई नया, बेहतर या उन्नत उत्पाद बाज़ार में आता है, तो वह अनिवार्य रूप से पुराने उत्पादों को बेचने वाली कंपनियों या तकनीकों को विस्थापित कर देता है।
इस प्रक्रिया के दो पहलू हैं....
नोबेल विजेताओं ने आगाह किया कि इस तरह के बदलावों से समाज में संघर्ष पैदा होते हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि इन संघर्षों को कुशलता से प्रबंधित करना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो कुछ शक्तिशाली समूह या बड़ी कंपनियां नए विचारों और नवाचारों की प्रगति को अवरुद्ध कर सकते हैं।
अर्थशास्त्र का नोबेल और भारतीय
अमर्त्य सेन (1998): उन्हें गरीबी को समझने और मापने के नए तरीके विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया था। उन्होंने अकाल के कारणों और लोगों के कल्याण को बढ़ाने पर गहन शोध किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने तर्क दिया कि गरीबी को केवल पैसे से नहीं, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कारकों से भी मापा जाना चाहिए।
अभिजीत बनर्जी (2019): उन्हें गरीबी उन्मूलन के लिए छोटे पैमाने के, प्रायोगिक दृष्टिकोणों (Randomized Control Trials) को लागू करने के लिए नोबेल मिला। उनके काम में यह परीक्षण शामिल था कि स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा कैसे दी जाए। उदाहरण के लिए, उन्होंने यह जांच की कि गरीब बच्चों को मुफ्त किताबें देने से उनकी पढ़ाई पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अभिजीत बनर्जी ने यह सम्मान अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ साझा किया था।