6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें 1945 में हुए परमाणु हमले की दर्दनाक कहानी, उसके परिणाम और दुनिया भर में शांति व परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में।
By: Ajay Tiwari
Aug 03, 20256:15 PM
स्टार समाचार वेब.फीचर डेस्क
हर साल 6 अगस्त का दिन दुनिया को उस विनाशकारी घटना की याद दिलाता है, जिसने मानवता को हमेशा के लिए झकझोर दिया था। आज से 78 साल पहले 6 अगस्त 1945 को, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था। इस एक हमले ने न केवल एक शहर को पल भर में राख कर दिया, बल्कि इसने भविष्य की पीढ़ियों को भी परमाणु हथियारों के खतरे से अवगत कराया। यही कारण है कि 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर, अमेरिकी बॉम्बर विमान 'एनोला गे' ने 'लिटिल बॉय' नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया था। इस बम के फटने से निकली आग की लपटों और भीषण गर्मी ने हजारों लोगों को तुरंत ही जलाकर राख कर दिया। एक विशाल मशरूम के आकार का धुआं आसमान में छा गया और पूरा शहर खंडहर में तब्दील हो गया। इस हमले के प्रत्यक्ष प्रभाव से करीब 1 लाख 40 हजार लोगों की जान गई, जबकि बाद में रेडिएशन के कारण लाखों लोग बीमारियों का शिकार हुए। जो लोग बच गए, उन्हें 'हिबाकुशा' कहा गया, और उनका जीवन इस त्रासदी के दर्द के साथ ही आगे बढ़ा।
हिरोशिमा दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना की याद नहीं है, बल्कि यह एक सार्वभौमिक संदेश है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि युद्ध और विनाश का रास्ता मानवता के लिए सबसे खतरनाक है। इस दिन दुनिया भर के शांतिप्रिय लोग एक साथ आते हैं और परमाणु हथियारों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं। हिरोशिमा का पीस मेमोरियल पार्क आज भी उस त्रासदी का गवाह है और हर साल यहां हजारों लोग शांति और अहिंसा का संदेश देने के लिए जुटते हैं।
शांति, संवाद और सहयोग
हिरोशिमा दिवस हमें सिखाता है कि विज्ञान और तकनीक का उपयोग हमेशा मानव कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि विनाश के लिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक बेहतर और सुरक्षित दुनिया के लिए शांति, संवाद और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है।