जानें 31 अक्टूबर को भारत की 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी को क्यों याद किया जाता है। उनके साहसिक फैसले, 1971 का युद्ध और राष्ट्र की एकता के लिए उनके बलिदान पर विस्तृत आलेख।
By: Ajay Tiwari
Oct 27, 20254:20 PM
फीचर डेस्क. स्टार समाचार वेब.
हर वर्ष 31 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में एक दुखद और महत्वपूर्ण तारीख के रूप में दर्ज है। यह वह दिन है जब भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनकी पुण्यतिथि को देश भर में उन्हें श्रद्धांजलि देने और राष्ट्र निर्माण में उनके साहसिक योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है।
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। वह स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं। जनवरी 1966 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद, उन्होंने लगभग 16 वर्षों तक देश का नेतृत्व किया, जिसने उन्हें भारतीय राजनीति की एक अविस्मरणीय हस्ती बना दिया।
उन्हें "भारत की आयरन लेडी (Iron Lady of India)" के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने कई कठिन और साहसी निर्णय लिए, जिसने देश की दिशा को प्रभावित किया:
बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969): इसका उद्देश्य बैंकों के संसाधनों को बड़े उद्योगपतियों के हाथों से निकालकर आम जनता और गरीबों के कल्याण के लिए इस्तेमाल करना था।
प्रिवी पर्स का उन्मूलन (1971): पूर्व रियासतों के शासकों को मिलने वाले विशेष भत्तों को समाप्त करके देश में समानता लाने की दिशा में कदम उठाया गया।
1971 का युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण: उनके नेतृत्व में, भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध जीता और पूर्वी पाकिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश के रूप में स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभाई। इस जीत के बाद, तत्कालीन विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 'देवी दुर्गा' कहकर संबोधित किया था।
इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कई बड़ी चुनौतियाँ भी आईं। वर्ष 1975 में आंतरिक अशांति का हवाला देते हुए आपातकाल (Emergency) की घोषणा करना उनके जीवन का सबसे विवादास्पद फैसला रहा। हालाँकि, बाद में उन्होंने स्वयं आपातकाल हटाकर चुनाव कराए।
उनके जीवन का अंत 31 अक्टूबर 1984 को एक दुखद घटना के साथ हुआ। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर उनके ही दो अंगरक्षकों द्वारा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। उनकी शहादत ने देश को स्तब्ध कर दिया और भारतीय राजनीति में एक अधूरा अध्याय छोड़ दिया।
इंदिरा गांधी को आज भी उनकी असाधारण राजनीतिक दूरदर्शिता, दृढ़ इच्छाशक्ति और वैश्विक पहचान के लिए याद किया जाता है। उनकी पुण्यतिथि पर, देश के नेता और नागरिक 'शक्ति स्थल' (दिल्ली में उनका समाधि स्थल) पर इकट्ठा होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था, "मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं। जब मैं मरुंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।" उनकी यह पंक्ति भारत की एकता और अखंडता के प्रति उनके अंतिम समर्पण को दर्शाती है। उनकी विरासत हमें यह याद दिलाती है कि देश की संप्रभुता और एकता को बनाए रखना हर नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य है।