आज, 4 अगस्त को महान गायक किशोर कुमार की 96वीं जयंती उनके गृह नगर खंडवा में 'गौरव दिवस' के रूप में मनाई गई। इस खास मौके पर प्रशंसकों ने उनकी समाधि पर दूध जलेबी का भोग लगाकर और उनके गीतों को गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जानें इस समारोह से जुड़ी खास बातें और किशोर दा के खंडवा से जुड़ाव के बारे में।
By: Ajay Tiwari
Aug 04, 20255:42 PM
खंडवा. स्टार समाचार वेब. एंटरटेंमेंट
आज, 4 अगस्त को बॉलीवुड के महान गायक और हर दिल अजीज कलाकार किशोर कुमार की 96वीं जयंती मनाई जा रही है। उनका जन्मदिन उनके गृह नगर खंडवा में 'गौरव दिवस' के रूप में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में प्रशंसकों ने उनकी समाधि पर इकट्ठा होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके गीतों को गुनगुनाकर अपनी भावनाएं प्रकट कीं।
"दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे"
किशोर कुमार का उनके गृहनगर से गहरा लगाव था। उनके मशहूर कथन "दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे" को याद करते हुए, प्रशंसकों ने उनकी समाधि पर दूध और जलेबी का भोग लगाया। उनकी समाधि को फूलों से सजाया गया और सुबह से ही यहां प्रशंसकों का तांता लगा रहा।
समाधि पर दी गई संगीतमय श्रद्धांजलि
इस खास अवसर पर पार्श्व गायक जॉली मुखर्जी भी खंडवा पहुंचे। उन्होंने समाधि पर पुष्प अर्पित कर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी और उनके गीतों को गुनगुनाया। जॉली मुखर्जी ने इस मौके पर मांग की कि किशोर कुमार को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। उनके साथ गायक हिम्मत पंड्या, अमृता गोविलकर और उमेश कुमार गायकवाड़ ने भी अपनी संगीतमय श्रद्धांजलि दी। इस दौरान, कलेक्टर ऋषव गुप्ता, एसपी मनोज कुमार राय और विधायक कंचन तनवे जैसे प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे और उन्होंने भी किशोर दा के गीतों को गुनगुनाया।
किशोर कुमार का खंडवा से नाता
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खंडवा में पूरी की और बाद में इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़ाई की। आज भी उनका खंडवा स्थित पैतृक बंगला उनकी यादों को ताजा करता है।
आज भले ही महान गायक किशोर कुमार हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जादुई आवाज करोड़ों संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करती है। 4 अगस्त को उनकी 96वीं जयंती के अवसर पर, उनके करियर, उपलब्धियों और जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को याद करना बेहद प्रासंगिक है।
अभिनय से हुई थी करियर की शुरुआत
किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1946 में एक अभिनेता के रूप में फिल्म 'शिकारी' से की थी। हालांकि, जल्द ही उनकी गायकी ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। उनकी आवाज, खासकर राजेश खन्ना पर बेहद जमती थी, और इसी जोड़ी ने बॉलीवुड को कई अविस्मरणीय हिट गीत दिए।
सबसे महंगे गायक और उपलब्धियाँ
1970 से 1987 के बीच किशोर कुमार सबसे महंगे गायकों में से एक थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना और जितेंद्र जैसे कई दिग्गजों के लिए गाने गाए। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उनका पहला फिल्मफेयर पुरस्कार 1969 में फिल्म 'आराधना' के गीत "रूप तेरा मस्ताना" के लिए मिला था। इसके अलावा, मध्य प्रदेश सरकार ने 1997 में उनके सम्मान में 'राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान' की शुरुआत की।
विवाद और खंडवा से प्रेम
1975 के आपातकाल के दौरान, एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में गाने के लिए पारिश्रमिक मांगने पर आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गीतों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, आपातकाल हटने के बाद 1977 में उनके गाने फिर से बजने लगे। किशोर कुमार का अपने गृहनगर खंडवा से गहरा लगाव था। वे अक्सर कहा करते थे, "दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में ही बस जाएंगे।" उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई, क्योंकि 1987 में उनका निधन हो गया। आज भी खंडवा में उनका पैतृक घर जर्जर हालत में है, जिसे उनके प्रशंसक एक स्मारक में बदलने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी यादें हमेशा जीवित रहें।