RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संगठन का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है, यह लोगों का समूह है। उन्होंने कहा कि भारत में सभी हिंदू हैं और हिंदू राष्ट्र होना संविधान के अनुरूप है।
By: Ajay Tiwari
Nov 09, 20253:48 PM
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कर्नाटक में विश्व संवाद केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में संगठन की प्रकृति, कानूनी स्थिति और राष्ट्रवाद को लेकर कई महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने विशेष रूप से RSS के पंजीकरण (Registration) और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया। कार्यक्रम में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और कई सामाजिक हस्तियाँ मौजूद थीं।
RSS के पंजीकरण को लेकर पूछे जाने वाले आरोपों पर मोहन भागवत ने कहा कि RSS की स्थापना 1925 में हुई थी। उन्होंने प्रश्न किया, "क्या आपको लगता है कि ब्रिटिश सरकार इसका रजिस्ट्रेशन करती?" उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने RSS जैसे समूहों के लिए पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया है।
उन्होंने आगे कहा कि RSS को "लोगों के समूह" की श्रेणी में मान्यता प्राप्त है और यह एक जाना-माना संगठन है। उन्होंने प्रमाण देते हुए कहा कि आयकर विभाग और अदालतें भी RSS को लोगों का समूह (Group of individuals) मानती हैं, यही कारण है कि संगठन को आयकर से छूट मिली हुई है। भागवत ने कहा कि RSS पर तीन बार प्रतिबंध लगा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संगठन को एक इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त थी। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म जैसी कई चीजें भी रजिस्टर्ड नहीं हैं।
तिरंगे के प्रति संघ के सम्मान पर उठने वाले सवालों को खारिज करते हुए भागवत ने कहा कि संघ में भगवा ध्वज को 'गुरु' माना जाता है, लेकिन संघ तिरंगे का बहुत सम्मान करता है।
एक दिन पहले इसी कार्यक्रम में दिए गए अपने संबोधन में मोहन भागवत ने हिंदू राष्ट्र की अपनी अवधारणा पर विस्तार से बात की, जिसकी 6 बड़ी बातें
'भारत में सभी हिंदू हैं': भागवत ने दावा किया कि भारत में रहने वाले सभी मुसलमान और ईसाई उन्हीं पूर्वजों के वंशज हैं जो हिंदू थे। उन्होंने कहा कि वे शायद इस बात को भूल गए हैं या उन्हें भुला दिया गया है। उनके अनुसार, भारत में कोई 'अहिंदू' नहीं है।
भारत एक प्राचीन राष्ट्र: उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र ब्रिटिशों की देन नहीं है, बल्कि हम सदियों से एक राष्ट्र रहे हैं। भागवत ने तर्क दिया कि दुनिया के हर देश की एक मूल संस्कृति होती है, और भारत की मूल संस्कृति की कोई भी परिभाषा अंत में 'हिंदू' शब्द पर ही पहुँचती है।
हिंदू होना मतलब जिम्मेदारी: भागवत ने कहा कि हर व्यक्ति, चाहे वह जाने या न जाने, भारतीय संस्कृति का पालन करता है। इसलिए, उन्होंने कहा, "हर हिंदू को यह समझना चाहिए कि हिंदू होना मतलब भारत के प्रति जिम्मेदारी लेना है।"
हिंदू राष्ट्र संविधान के अनुरूप: उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का हिंदू राष्ट्र होना किसी के विरोध में नहीं है, बल्कि यह भारतीय संविधान के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके अनुरूप है। संघ का लक्ष्य समाज को जोड़ना है, तोड़ना नहीं।
संघ ने विरोध झेला: भागवत ने बताया कि संघ के 100 साल का सफर आसान नहीं रहा। संघ पर दो बार प्रतिबंध लगा और तीसरी बार कोशिश की गई। स्वयंसेवकों की हत्याएँ हुईं और हमले हुए, लेकिन कार्यकर्ता बिना किसी स्वार्थ के काम करते रहे।
हर वर्ग तक पहुँचना लक्ष्य: RSS प्रमुख ने कहा कि अब संघ का लक्ष्य हर गाँव, हर जाति और समाज के हर वर्ग तक पहुँचना है। उन्होंने कहा कि दुनिया हमें विविधता में देखती है, लेकिन संघ के लिए यह विविधता एकता की सजावट है।