मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षकों की ई-अटेंडेंस के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज की। अब सभी सरकारी शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य होगा। जानें कोर्ट के फैसले का कारण।
By: Ajay Tiwari
Nov 04, 20256:23 PM
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद, अब प्रदेश के सभी सरकारी शिक्षकों को अपनी दैनिक उपस्थिति अनिवार्य रूप से ई-अटेंडेंस पोर्टल या ऐप के माध्यम से ही दर्ज करनी होगी।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है।
चुनौतीपूर्ण आदेश: यह याचिका अशोकनगर की गेस्ट टीचर को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह द्वारा दायर की गई थी। इसमें राज्य सरकार के 20 जून 2025 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत 1 जुलाई 2025 से ई-अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया था।
याचिकाकर्ता की दलील: याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी और इंटरनेट की गंभीर समस्याएँ हैं। इसके अलावा, कई शिक्षक स्मार्टफोन खरीदने में असमर्थ हैं, जिससे उनके लिए डिजिटल अटेंडेंस दर्ज करना कठिन हो रहा है।
राज्य सरकार का पक्ष: अतिरिक्त महाधिवक्ता निलेश यादव ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि ई-अटेंडेंस प्रणाली का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है, और इसे लागू करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार के आदेश को वैध माना। न्यायालय के इस फैसले ने शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करने का रास्ता साफ कर दिया है।