मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण के लिए बड़ी योजना। 86 विकासखण्डों में बनेंगे कला भवन, खुलेगा सांदीपनि विद्यालय और जनजातीय उत्पादों को मिलेगा जी.आई. टैग।
By: Ajay Tiwari
Dec 30, 20254:18 PM
भोपाल | स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप पर काम कर रही है। जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने सरकार की दो वर्ष की उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए घोषणा की है कि आगामी तीन वर्षों में प्रदेश के प्रत्येक जनजातीय विकासखण्ड में सांदीपनि विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।
मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों को न केवल अधोसंरचना के मामले में सुदृढ़ किया जाएगा, बल्कि वहां स्मार्ट क्लास, उन्नत लैब और आधुनिक लाइब्रेरी की सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। प्रत्येक विकासखण्ड में एकलव्य विद्यालय, माता शबरी कन्या शिक्षा परिसर और बालक आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना कर शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
जनजातीय कलाओं को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए सरकार विशेष प्रयास कर रही है। डिंडोरी की गोंड पेंटिंग के बाद अब भील जनजाति की गलशन माला, बोलनी, पिथौरा चित्रशैली और झाबुआ की गुड़िया समेत सात अन्य उत्पादों को जी.आई. (Geographical Indication) टैग दिलाने की प्रक्रिया जारी है। इसके साथ ही, 86 जनजातीय विकासखण्डों में कला भवनों का निर्माण किया जाएगा, जो सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र बनेंगे।
गुजरात के केवड़िया की तर्ज पर पचमढ़ी, मांडू, कान्हा-किसली, पेंच और बांधवगढ़ जैसे पर्यटन स्थलों पर जनजातीय महिला कैफेटेरिया बनाए जा रहे हैं। इनका संचालन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा किया जाएगा, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय महिलाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
आईआईटी दिल्ली के सहयोग से 'आदि वाणी' ऐप विकसित किया जा रहा है, जो भीली बोली से हिंदी और हिंदी से भीली में अनुवाद की सुविधा देगा। इसके अलावा, विभागीय योजनाओं की जानकारी सुलभ कराने के लिए 'शालिनी' ऐप भी काम कर रहा है।
आवास: अब तक 1.30 लाख से अधिक आवास पूर्ण किए जा चुके हैं।
स्वास्थ्य: जनजातीय क्षेत्रों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं।
पर्यटन: स्वदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 14 गांवों में 86 जनजातीय 'होमस्टे' तैयार किए जा रहे हैं।
आहार अनुदान: विशेष पिछड़ी जनजातियों (बैगा, भारिया, सहरिया) की महिला मुखियाओं को कुपोषण से मुक्ति के लिए 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं।