राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्यप्रदेश में पुलिस की कथित पिटाई से बीटेक छात्र सहित दो लोगों की मौत पर स्वतः संज्ञान लिया। डीजीपी को 14 दिन में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
By: Ajay Tiwari
Oct 15, 20252 hours ago
हाइलाइट्स
भोपाल/ नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश में पुलिस की कथित क्रूरता से हुई दो दुखद मौतों के मामलों पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को तत्काल नोटिस जारी कर दोनों घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित तथ्य सही पाए जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जिसके लिए राज्य के संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। ये दोनों मामले पुलिसकर्मियों द्वारा की गई कथित पिटाई से जुड़े हैं, जिनमें एक 22 वर्षीय बीटेक छात्र और एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी जान गंवाई है।
पहली दुर्भाग्यपूर्ण घटना भोपाल जिले से सामने आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 9 और 10 अक्टूबर की रात लगभग 1:30 बजे, एक इंजीनियरिंग छात्र को दो पुलिसकर्मियों ने बेरहमी से पीटा, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बताया गया है कि छात्र अपने दोस्तों के साथ एक पार्टी से लौट रहा था, तभी रास्ते में एक मामूली घटना (बोतल टूटने) के बाद पुलिस ने उन्हें रोका। छात्र के दो दोस्त भागने में सफल रहे, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया और कथित तौर पर लाठियों से पीट-पीट कर मार डाला।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए सीसीटीवी फुटेज में एक पुलिसकर्मी को युवक पर लगातार डंडे बरसाते हुए देखा जा रहा है। इस घटना ने पूरे प्रदेश में पुलिस की कार्यशैली के प्रति गहरे आक्रोश को जन्म दिया है।
दूसरी घटना अशोकनगर जिले के शडोरा थाना क्षेत्र के बमुरिया गांव की है। यहां 45 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर पुलिस पिटाई के बाद भागने के क्रम में पानी से भरे गड्ढे में गिरने से मृत्यु हो गई। मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने इसके बाद प्रदर्शन करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। हालांकि, स्थानीय पुलिस का दावा है कि वे अवैध शराब व्यापार की सूचना पर कार्रवाई के लिए गए थे। पुलिस का कहना है कि व्यक्ति भागने की कोशिश के दौरान गड्ढे में गिरा, जिससे उसकी मौत हुई।
मानवाधिकार आयोग ने इन मामलों को "मानवाधिकारों की गंभीर अवहेलना" करार दिया है, खासकर यदि पुलिसकर्मियों की लापरवाही या अत्यधिक बल प्रयोग सिद्ध होता है। आयोग ने डीजीपी से जांच की प्रगति, उठाए गए कदम और दोषियों की जिम्मेदारी तय करने संबंधी पूरी रिपोर्ट दो सप्ताह के अंदर मांगी है। इन घटनाओं ने मध्य प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। NHRC के संज्ञान लेने से अब पीड़ित परिवारों के लिए त्वरित न्याय और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की उम्मीद जगी है।