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विश्व जनसंख्या दिवस 2025: बढ़ती आबादी की चुनौती और जागरूकता?

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जानें इस दिन का इतिहास, महत्व और क्यों बढ़ती वैश्विक आबादी हमारे संसाधनों, पर्यावरण और भविष्य के लिए एक चुनौती है। भारत पर इसके प्रभावों को भी समझें।

By: Ajay Tiwari

Jul 04, 20255:00 PM

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विश्व जनसंख्या दिवस 2025: बढ़ती आबादी की चुनौती और जागरूकता?

स्टेट समाचार वेब. फीचर डेस्क

हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। यह दिन तेजी से बढ़ती वैश्विक जनसंख्या और उससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से समर्पित है। इसका मुख्य लक्ष्य लोगों को परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानवाधिकारों के महत्व जैसे विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर शिक्षित करना है।

इतिहास के आइने में

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की शासी परिषद द्वारा की गई थी। इसके पीछे की प्रेरणा "पांच अरब के दिन" (Day of Five Billion) की घटना थी, जो 11 जुलाई 1987 को घटित हुई थी। इस दिन दुनिया की आबादी ने अनुमानित रूप से पांच अरब का आंकड़ा पार कर लिया था, जिसने वैश्विक समुदाय का ध्यान तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर आकर्षित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1990 में एक प्रस्ताव पारित कर आधिकारिक तौर पर 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, और तब से यह दुनियाभर में प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है।

महत्व और उद्देश्य

जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों पर जागरूकता: यह दिन हमें याद दिलाता है कि अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों (जल, वन, खनिज), पर्यावरण प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव, आर्थिक चुनौतियों (गरीबी, बेरोजगारी) और शिक्षा की कमी जैसी कई समस्याओं को जन्म दे सकती है।

परिवार नियोजन का महत्व: यह सुरक्षित और प्रभावी परिवार नियोजन विधियों तक पहुंच के महत्व पर जोर देता है, जिससे व्यक्ति अपनी प्रजनन क्षमता को नियंत्रित कर सकें और स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार बना सकें।

लिंग समानता और मातृ स्वास्थ्य: यह महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण, उनके शिक्षा और स्वास्थ्य अधिकारों को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। मातृ मृत्यु दर को कम करना और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना भी इसके प्रमुख उद्देश्यों में से है।

मानव अधिकारों का सम्मान: यह सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों, विशेषकर प्रजनन अधिकारों के सम्मान की वकालत करता है, जिससे वे बिना किसी दबाव के अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय ले सकें।

सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन, भूखमरी समाप्त करने, अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुनिश्चित करने जैसे संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है। यह दिन इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जनसंख्या प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालता है।

वर्तमान परिदृश्य और भारत की स्थिति

आज, दुनिया की आबादी 8 अरब का आंकड़ा पार कर चुकी है। भारत हाल ही में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह स्थिति भारत के लिए अवसरों और चुनौतियों दोनों को प्रस्तुत करती है। एक विशाल युवा आबादी कार्यबल के रूप में देश के विकास में योगदान दे सकती है, लेकिन इसके साथ ही इस आबादी के लिए पर्याप्त संसाधन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती है।


विश्व जनसंख्या दिवस केवल एक आंकड़ा याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह मानव जाति के सामने आने वाली एक महत्वपूर्ण चुनौती पर चिंतन करने और उसके समाधान खोजने का एक अवसर है। यह हमें याद दिलाता है कि एक स्वस्थ, शिक्षित और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए जनसंख्या प्रबंधन, संसाधनों का स्थायी उपयोग और सभी के अधिकारों का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। यह दिवस हमें सामूहिक रूप से एक बेहतर और टिकाऊ भविष्य के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

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