गंजबासौदा। जीवाजीपुर स्थित शासकीय वेयर हावस में डीएपी का आवंटन आते ही उसे लेने के लिए किसानों की भारी भीड़ उमड पडी। गत दिवस तो वेयर हाउस प्रबंधन ने किसी तरह खाद का वितरण कर दिया था, लेकिन मंगलवार को किसानों की भारी भीड़ के चलते अव्यवस्था उत्पन्न हो गई और ऐसे में एसडीएम विजय राय, अतिरिक्त तहसीलदार सविपा पटेल, कृषि एसएडीओ आशीष आर्थ और पुलिस को मौके पर पहुंचकर व्यवस्था बनानी पड़ी। प्रशासन और पुलिस की देखरेख में किसानों को सुविधाजनक ढंग से डीएपी का वितरण किया जा सका।
उल्लेखनीय है कि इलाके में डीएपी की मांग सबसे अधिक रहती है और पिछले दो सालों से डीएपी की आपूर्ति मांग के अनुरूप कम हो रही है। वहीं गत वर्ष से इलाके में धान का रकबा भी बढ गया है, इसकारण किसानों को खरीफ सीजन में भी डीएपी यूरिया की आवश्यकता रहती है। इसलिए किसान सीजन के समय असुविधा से बचने के लिए इन दिनों में ही डीएपी यूरिया लेकर रखने लगे हैं। यही कारण है कि गत दिवस जीवाजीपुर स्थित शासकीय वेयर हाउस पर डीएपी का आवंटन आने की सूचना के साथ ही बडी संख्या में किसान खाद लेने पहुंच गए थे। गत दिवस वेयर हाउस प्रबंधकों ने ही अपने स्तर पर व्यवस्था बनाते हुए खाद का वितरण किया, लेकिन आज किसानों की अधिक भीड उमड़ने के चलते प्रशासन को स्थिति संभालनी पड़ी।
किसानों की भीड और अव्यवस्था की जानकारी मिलते ही एसडीएम विजय राय, अतिरिक्त तहसीलदार सविता पटेल, कृषि एसएडीओ आशीष आर्य सहित पुलिस बल को मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालना पड़ा। प्रशासन के निर्देश के बाद सभी किसानों को टोकन बांटे गए और फिर टोकन के आधार पर प्रति किसान 5 बोरी डीएपी का वितरण किया गया। ताकि सभी किसानों को समान मात्रा में खाद उपलब्ध कराया जा सके। इस मौके पर कृषि विभाग के एसएडीओ
आशीष आर्य ने बताया कि गत वर्ष 4616 मी टन यूरिया, 5135 मी टन डीएपी और 3630 मी टन एनपीके का वितरण किया गया था। जबकि इस वर्ष अभी तक 1450 मी टन यूरिया, 2520 मी टन डीएपी और 650 मी टन एनपीके का आवंटन आ चुका है। अब आगामी सीजन में किसानों की आवश्यकता को देखते हुए 3166 मी टन यूरिया, 2615 मी टन डीएपी और 2980 मी टन एनपीके की जरूरत है और इसकी डिमांड वरिष्ठ प्रशासन को भेजी जा रही है।
वहीं जीवाजीपुर वेयर हाउस पर गत 31 मार्च से अभी तक 350 मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हो चुकी है। जिसमें से 200 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है और करीब 150 मी टन शेष है, जिसका वितरण अभी चल रहा है। एसएडीओ आशीष आर्य ने कहा कि क्षेत्र में यूरिया, एनपीके और ग्रोमोर खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन किसान एनपीके में रूचि नहीं ले रहे हैं जबकि ये खाद भी बेहतर है। किसान सिर्फ डीएपी को लेने के लिए परेशान हो रहे हैं।