16 जुलाई को मनाया जाने वाला एआई एंपैथेशन दिवस हमें यह सिखाता है कि तकनीक में केवल बुद्धिमत्ता नहीं, बल्कि सहानुभूति भी आवश्यक है। जानिए कैसे मानवता और AI का संतुलन बनाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
By: Ajay Tiwari
Jul 16, 20252:07 PM
स्टार समाचार वेब. फीचर डेस्क
आज की दुनिया तेजी से तकनीकी क्रांति की ओर बढ़ रही है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) इसका प्रमुख स्तंभ बन चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, परिवहन, यहां तक कि व्यक्तिगत जीवन में भी AI ने अपने पाँव जमा लिए हैं। लेकिन इस तकनीकी विस्तार के साथ एक प्रश्न भी उठता है—क्या केवल बुद्धिमत्ता ही काफी है, या हमें सहानुभूति (Empathy) की भी आवश्यकता है? इसी विचार को केन्द्र में रखकर प्रतिवर्ष 16 जुलाई को "AI एंपैथेशन दिवस" मनाया जाता है।
इस दिन का उद्देश्य केवल AI की शक्ति का जश्न मनाना नहीं है, बल्कि यह सोचने का एक अवसर है कि कैसे हम तकनीक को अधिक मानवीय, संवेदनशील और नैतिक बना सकते हैं। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि AI केवल डेटा, एल्गोरिद्म और मशीन लर्निंग नहीं है; यह एक ऐसा उपकरण भी बन सकता है जो मानव संवेदनाओं को समझे, महसूस करे और सम्मान दे।
AI में सहानुभूति का समावेश इसे केवल स्मार्ट नहीं, बल्कि संवेदनशील बनाता है। एक ऐसी तकनीक जो आपके चेहरे की उदासी को पहचान कर सांत्वना दे सके, या आपके स्वर की निराशा को समझकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे—यही है AI with empathy। ग्राहक सेवा, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, शिक्षा, और वृद्ध देखभाल जैसे क्षेत्रों में AI तभी सफल हो सकती है जब वह इंसानी भावनाओं की भाषा समझे।
आज कई AI सिस्टम्स ऐसे विकसित किए जा रहे हैं जो उपयोगकर्ता की भावनात्मक स्थिति को समझ सकते हैं। जैसे—मानसिक स्वास्थ्य चैटबॉट्स जो मरीज के मूड को पहचानकर सहायता देते हैं, या बुजुर्गों के लिए ऐसे वॉयस असिस्टेंट्स जो भावनात्मक संवाद कर सकें। शिक्षा में AI बच्चों की सीखने की क्षमता को उनकी मानसिक अवस्था के अनुरूप ढाल सकता है।
भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में, जहां भावनाएं संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं, वहां सहानुभूतिपूर्ण AI की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। एक ऐसा देश जहां भाषा, लहजा, रीति-रिवाज और भावनात्मक जुड़ाव हर कुछ किलोमीटर पर बदलता है, वहां केवल एक डेटा-आधारित सिस्टम पर्याप्त नहीं है। जरूरत है ऐसे AI की जो भारत की आत्मा को समझे और उसमें घुले भावों को महसूस कर सके।
16 जुलाई का AI एंपैथेशन दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक विचार है। यह विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जब हम तकनीक विकसित करें, तो उसमें दिमाग के साथ दिल भी जोड़ें। तकनीक को ऐसा बनाएं जो केवल तेज़ हो, ऐसा नहीं, बल्कि ऐसा जो इंसानों की तरह संवेदनशील हो।