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बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस: 19 जुलाई का ऐतिहासिक फैसला जिसने बदली भारत की वित्तीय तस्वीर

19 जुलाई को मनाया जाता है बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस. जानें 1969 में इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे के कारण, इसके गहरे प्रभाव और भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर इसका क्या असर पड़ा. क्यों था यह कदम इतना महत्वपूर्ण?

By: Ajay Tiwari

Jul 12, 20258:09 AM

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बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस: 19 जुलाई का ऐतिहासिक फैसला जिसने बदली भारत की वित्तीय तस्वीर

स्टार समाचार वेब. अजय तिवारी

हर साल 19 जुलाई का दिन भारतीय बैंकिंग इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है. यह वह तारीख है जब 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक साहसिक और दूरगामी फैसला लेते हुए देश के 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था. यह कदम केवल एक वित्तीय निर्णय नहीं था, बल्कि इसने भारत की सामाजिक-आर्थिक दिशा को एक नई राह दी.

क्यों हुआ बैंकों का राष्ट्रीयकरण?

आजादी के बाद भारत एक समाजवादी ढांचे की ओर बढ़ रहा था, जहां समाज के कमजोर वर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास के लाभ पहुंचाने का लक्ष्य था. निजी बैंक तब तक मुख्य रूप से बड़े उद्योगों और शहरी क्षेत्रों पर ही केंद्रित थे, जिससे कृषि और छोटे व्यवसायों को ऋण मिलने में मुश्किलें आती थीं. बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पीछे कई प्रमुख कारण थे:

  • वित्तीय समावेशन: बैंकिंग सेवाओं को आम आदमी और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना.

  • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण: कृषि, लघु उद्योग और कमजोर वर्गों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराना.

  • आर्थिक असमानता कम करना: धन और क्रेडिट के असमान वितरण को नियंत्रित करना.

  • सरकार का नियंत्रण: अर्थव्यवस्था पर सरकार का प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना.

ऐतिहासिक कदम और उसका प्रभाव

19 जुलाई 1969 को 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिनके पास उस समय देश के कुल बैंक जमा का लगभग 85% हिस्सा था. इसके बाद 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. इस फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ा:

  • शाखाओं का विस्तार: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं का जाल बिछ गया, जिससे करोड़ों लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया.

  • कृषि और लघु उद्योगों को बढ़ावा: इन क्षेत्रों को मिलने वाले ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, जिससे देश के कृषि उत्पादन और छोटे व्यवसायों को गति मिली.

  • रोजगार सृजन: बैंकिंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हुए.

  • आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: राष्ट्रीयकरण ने देश को वित्तीय रूप से अधिक आत्मनिर्भर बनाया.

चुनौतियां और आलोचनाएँ

हालांकि, राष्ट्रीयकरण के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. नौकरशाही, कार्यकुशलता में कमी और बढ़ते गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) इसकी प्रमुख आलोचनाएं रहीं.

आज के समय में प्रासंगिकता

आज भले ही भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में निजी बैंकों और विदेशी बैंकों की भूमिका बढ़ी है, लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के दूरगामी प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता. इसने वित्तीय समावेशन की नींव रखी और यह सुनिश्चित किया कि बैंकिंग सेवाएं केवल अभिजात्य वर्ग तक सीमित न रहें. प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसे आज के कार्यक्रम भी कहीं न कहीं राष्ट्रीयकरण के उसी मूल विचार से प्रेरित हैं, जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाना चाहते हैं.

19 जुलाई का यह दिन हमें उस ऐतिहासिक मोड़ की याद दिलाता है, जब देश ने अपने संसाधनों पर सामूहिक नियंत्रण का बीड़ा उठाया था, ताकि सभी नागरिकों के लिए समान अवसर और विकास सुनिश्चित किया जा सके.

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