गंजबासौदा। शहर के बरेठ रोड स्थित नए बस स्टैंड के पास खुली डीपी से खंभे में करंट उतरने से शनिवार सुबह एक मवेशी की मौत हो गई। इस हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों का आक्रोश फूट पड़ा। लोगों ने आरोप लगाया कि बिजली कंपनी की लापरवाही और खुले सर्किट पैनल, लटकते तारों की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बिजली कंपनी ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए नगर पालिका को दोषी ठहराया है।
बिजली कंपनी के डीई राजू भामोर ने कहा कि सप्लाई ट्रांसफॉर्मर के चारों ओर सुरक्षा के लिए जाली लगाने की जिम्मेदारी नगर पालिका की है।इस संबंध में पत्र भी भेजा गया है। वहीं, नगर पालिका का कहना है कि नपा स्वयं बिजली उपभोक्ता है। न तो उनके पास एख्या का जावधान और ऐसी कोई योजना की जानकारी दी गई है। पोल शिफ्टिंग हो या डीपी लगाना, सब काम बिजली कंपनी ही करती है और इसके लिए सुपरविजन चार्ज भी वसूलती है।
खुले ट्रांसफॉर्मर से जानवरों और राहगीरों को खतरा
नगर में 287 सप्लाई ट्रांसफॉर्मर लगे हैं जिनमें 25, 63, 100 और 200 केवी के यूनिट शामिल हैं। इनमें से करीब 60 प्रतिशत ट्रांसफॉर्मर बेहद असुरक्षित हालत में हैं। इनसे निकली केबल जमीन को छूने को आतुर है और सर्किट पैनल खुले हुए हैं। अधिकांश ट्रांसफॉर्मर घनी बस्तियों, चौराहों और दुकानों के आसपास लगे हैं। दुकानदारों, महिलाओं, राहगीरों, बच्चों और मवेशियों की जान पर हर वक्त खतरा मंडरा रहा है।
9.5 करोड़ खर्च फिर भी हाल जस के तस
शासन ने शहर की जर्जर बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए आरएपीडीआरपी योजना के अंतर्गत करीब 9.5 करोड़ रुपए की राशि 12 साल पहले खर्च की थी। योजना के तहत ओपन लाइन को केबल लाइन में बदला गया, लेकिन डीपी और सर्किट पैनल खुले ही रह गए। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
नपा को पत्र भेजा है
सड़क किनारे लगी बिजली सप्लाई डीपी के चारों तरफ सुरक्षा के लिए जाली लगाना है। इससे आम लोग और मवेशी पहुंच से दूर रहें।
राजू भामोर, डीई, बिजली कंपनी, गंजबासौदा।