उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले भाजपा ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। लंबे समय बाद एक बार फिर बीजेपी ने राज्यसभा में 100 का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है, जो कि किसी भी दल के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जाता है।
By: Arvind Mishra
Aug 02, 202513 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले भाजपा ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। लंबे समय बाद एक बार फिर बीजेपी ने राज्यसभा में 100 का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है, जो कि किसी भी दल के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जाता है। इस बढ़त ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक लाभ दिलाया है। दरअसल, संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इसी बीच बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आया जब सत्र की शुरुआत के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अभी उनका कार्यकाल 2027 तक था। धनखड़ के अचानक इस्तीफा देते ही सरकार अगली रणनीति में जुट गई। दूसरी ओर नए उपराष्ट्रपति को लेकर चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस बीच सबसे अहम ये रहा कि केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी की संसद के उच्च सदन में ताकत बढ़ गई है।
राज्यसभा में राष्ट्रपति ने पिछले दिनों चार सांसदों को मनोनीत किया। इनमें तीन मनोनीत सांसद भाजपा में शामिल हो गए। इससे पार्टी की राज्यसभा में ताकत बढ़ गई है। संसद के उच्च सदन में बीजेपी का आंकड़ा अब 102 पहुंच गया है। यह उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले हुआ है। उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला और सी. सदानंदन मास्टर जैसे मनोनीत सांसद बीजेपी में शामिल हुए हैं।
तीन मनोनीत सांसदों के आने से राज्यसभा में भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई है। राज्यसभा में पार्टी ने सेंचुरी लगा दी है, उसके अब यहां 102 सदस्य हो गए हैं। अप्रैल 2022 के बाद पहली बार भाजपा ने 100 का आंकड़ा पार किया है। उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले सियासी घटनाक्रम हुआ है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होने वाला है। इससे ठीक पहले तीन मनोनीत सांसदों के भाजपा में आने से पार्टी के राज्यसभा में 102 सदस्य हो गए हैं। भाजपा में शामिल होने राज्यसभा सांसदों में उज्ज्वल निकम एक बड़े वकील हैं। हर्षवर्धन श्रृंगला पहले विदेश सचिव थे। सी. सदानंदन मास्टर एक समाज सेवक हैं। इन तीनों ने पिछले महीने ही राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली थी।
राज्यसभा में 250 सदस्य हो सकते हैं। इनमें 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं। अभी राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। 12 मनोनीत सदस्यों में से अब पांच भाजपा में शामिल हो चुके हैं। फिलहाल राज्यसभा में जिस तरह से भाजपा की ताकत बढ़ी हैं, ऐसा कहा जा सकता है कि इससे पार्टी की दावेदारी उपराष्ट्रपति चुनाव में और मजबूत होगी।
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा ने राज्यसभा में 100 से अधिक सीटें हासिल की हैं। इससे पहले मार्च 2022 में भी बीजेपी ने यह उपलब्धि हासिल की थी, जब 13 सीटों पर हुए राज्यसभा चुनावों में जीत के बाद पार्टी की संख्या 101 हो गई थी। कांग्रेस को यह उपलब्धि 1988 से 1990 के बीच मिली थी, लेकिन उसके बाद किसी पार्टी को यह आंकड़ा छूने में सालों लग गए।