बांग्लादेश में 2024 के छात्र आंदोलन का चेहरा रहे उस्मान हादी की हत्या के बाद सोमवार को एक और छात्र नेता पर अज्ञात हमलावरों के हमला किया है। इससे देश में तनाव और बढ़ गया है।
By: Ajay Tiwari
Dec 22, 20253:36 PM
ढाका. स्टार समाचार वेब
बांग्लादेश में 2024 के छात्र आंदोलन का चेहरा रहे उस्मान हादी की हत्या के बाद सोमवार को एक और छात्र नेता पर अज्ञात हमलावरों के हमला किया है। इससे देश में तनाव और बढ़ गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि NCP यानी नेशनल सिटिजन पार्टी के मोतालेब सिकदर को सोमवार को खुलना में गोली मारी गई है। मोतालेब एनसीपी के खुलना डिविजनल चीफ और एनसीपी श्रमिक शक्ति के केंद्रीय आयोजक हैं। हमला सुबह करीब 11:45 बजे हुआ. गोली लगने के बाद मोतालेब को गंभीर हालत में खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस के जांच अधिकारी अनिमेष मंडल ने बताया कि गोली कान के एक हिस्से को छूकर बाहर निकल गई और फिलहाल मोतालेब खतरे से बाहर हैं।
उस्मान हादी की मौत और हिंसा
बता दे 2024 के छात्र आंदोलन के नेता उस्मान हादी 12 दिसंबर को ढाका में हुए एक हमले में गोली लगने से घायल हुए थे, 15 दिसंबर को एयरलिफ्ट कर सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जिकल आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन 18 दिसंबर 2025 को उन्होंने दम तोड़ दिया था। मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा का दौर शुरू हो गया था।
नेशनल सिटीजन पार्टी के बारे में
नेशनल सिटीजन पार्टी की स्थापना इसी साल 28 फरवरी को की गई थी। यह पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अस्तित्व में आई थी। यह पार्टी छात्र आंदोलन से उभरी थी, जिसका नेतृत्व जातीय नागरिक समिति ने किया था।
क्या मानते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उस्मान हादी की हत्या और उसके तुरंत बाद मोतालेब सिकदर पर जानलेवा हमला यह संकेत देता है कि बांग्लादेश में छात्र राजनीति अब संगठित हिंसा के खतरनाक दौर में प्रवेश कर चुकी है। 2024 के छात्र आंदोलन से उभरे नेता अब केवल वैचारिक चुनौती नहीं रहे, बल्कि सत्ता और प्रभाव के केंद्र बन चुके हैं, जिससे वे प्रतिद्वंद्वी गुटों के निशाने पर आ गए हैं।
विशेषज्ञों की राय
यह हमला पूर्व नियोजित और प्रतीकात्मक लगता है। हादी की हत्या के बाद मोतालेब पर हमला यह संदेश देता है कि आंदोलन से जुड़े नेतृत्व को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया जा रहा है। इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और भय का माहौल और गहरा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) जैसी नई पार्टियों का तेजी से उभरना पारंपरिक राजनीतिक ढांचे के लिए चुनौती है। ऐसे में पुराने और नए शक्ति केंद्रों के बीच टकराव स्वाभाविक है, लेकिन हिंसा का रास्ता लोकतांत्रिक भविष्य के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।