विदिशा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मुखर्जी नगर सेवा केंद्र पर विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता का राखी उत्सव में शुभ आगमन हुआ। ब्रह्माकुमारी दीदीयों द्वारा बड़े प्यार से रक्षा सूत्र बंधवाया शुभकामनाएं देते हुए कहा यह त्यौहार सबसे पवित्र त्यौहार है आप बहनें सदा मुस्कुराते रहें खुश रहें। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपनी भावनाएं रखते हुए कहा इस त्यौहार को अनेक नामों से जाना जाता है। 'विष तोड़क पर्व', 'पुण्य प्रदायक पर्व' इत्यादि जो इसके अन्य नाम हैं, उनसे सिद्ध है कि यह त्योहार पवित्रता की रक्षा करने,पुण्य करने और विषय विकारों की आदत को तोड़ने की प्रेरणा देता है। अतः यदि हम ऐसा बन्धन बाँधे तो निश्चय ही उपर्युक्त प्राप्ति हो सकती है।
राज्य-भाग्य' प्राप्त करने तथा यम के दण्ड से छूटने का आध्यात्मिक अर्थ है। यह अर्थ सारे कल्प की कहानी जानने से समझ में आता है। सतयुग और त्रेता में तो सभी मनुष्यात्माएं पूर्ण पवित्र (निर्विकारी) थीं, इसलिए उन्हें स्वर्ग का सुख और स्वराज्य प्राप्त था और श्रेष्ठाचार के कारण वे 'देवी-देवता' कहलाती थीं। द्वापर युग से लेकर वही देवी-देवता वाम मार्ग में चले गए अर्थात् विकारों के वश हो गये और इन काम-क्रोधादि विकारों से हारकर उन्होंने अपना राज्य-भाग्य गँवा दिया था।
अब संगम समय फिर से परमपिता परमात्मा शिव प्रजापिता ब्रह्मा के मुख द्वारा सहज ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर पतितों को पावन अथवा शूद्र से सच्चे ब्राह्मण बना रहे हैं। अतः जो मनुष्यात्माएं पवित्रता का बन्धन बाँधेंगी वे पुनः देवपद प्राप्त करेंगी अर्थात् अपना खोया हुआ स्वराज्य 'राज्य-भाग्य' प्राप्त करेंगी और यम के दण्ड से भी छूट जायेंगी तथा मुक्ति भी प्राप्त करेंगे। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा के कमल मुख द्वारा जिन नर-नारियों ने वास्तविक ज्ञान तथा योग की शिक्षा प्राप्त करके विकारों रूपी विष को तोड़ा था और स्वयं को पुण्यात्मा बनाया था, उन सच्चे ब्राह्मणों अथवा सच्चे ब्रह्माकुमारों और ब्रह्माकुमारियों ने जन-जन को पवित्रता का प्रतीक यह रक्षा बन्धन बाँधा। जिन्होंने ईश्वरीय ज्ञान और सहज राजयोग सीख कर उस बन्धन को निभाया, उन्होंने मुक्ति और जीवनमुक्ति प्राप्त की। अतः इस बन्धन को आज तक भी मनाया जाता है और आज ब्राह्मण भी यह बन्धन बाँधते हैं तथा बहनें भी, यद्यपि विकारी व्यक्तियों को अन्य किसी को यह बन्धन बाँधने का अधिकार नहीं है।