एनसीईआरटी ने हाल ही में दो विशेष शैक्षिक मॉड्यूल लॉन्च किए हैं, जिनका उद्देश्य स्वदेशी की यात्रा को आज की आत्मनिर्भर भारत की दिशा से जोड़ना है। ये मॉड्यूल क्रमश: स्वदेशी- वोकल फॉर लोकल (मध्यम कक्षा के लिए) और स्वदेशी-आत्मनिर्भर भारत के लिए (माध्यमिक स्कूल के लिए) नाम से जारी किए गए हैं।
By: Arvind Mishra
Oct 04, 20253:04 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
एनसीईआरटी ने हाल ही में दो विशेष शैक्षिक मॉड्यूल लॉन्च किए हैं, जिनका उद्देश्य स्वदेशी की यात्रा को आज की आत्मनिर्भर भारत की दिशा से जोड़ना है। ये मॉड्यूल क्रमश: स्वदेशी- वोकल फॉर लोकल (मध्यम कक्षा के लिए) और स्वदेशी-आत्मनिर्भर भारत के लिए (माध्यमिक स्कूल के लिए) नाम से जारी किए गए हैं। इसमें भारत के 1905 के बंगाल विभाजन विरोध आंदोलन से लेकर आज के समय में पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत विचार तक की कहानी को पढ़ने वालों के सामने रखा गया है। मॉड्यूल में स्वतंत्रता संघर्ष की वह परिणीति दिखाई गई है, जिसमें स्वदेशी आंदोलन विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार ही नहीं, बल्कि भारतीय विकल्प तैयार करने की लहर भी था। उदाहरण के लिए, बंगाल के रसायन उद्योग और तारापुर के इस्पात उद्यम को दिखाया किया गया है।
मॉड्यूल में प्रधानमंत्री मोदी के इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस भाषण का अंश भी शामिल है, जिसमें उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को विकसित भारत की आधारशिला बताया। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे एक होमवर्क लें कि-छात्रों के साथ मिलकर स्वदेशी उत्पादों और वोकल फॉर लोकल की पहल का प्रचार करेंगे। इतिहास के पन्नों में यह भी याद दिलाया गया है कि महात्मा गांधी ने शिक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी को महत्व दिया और रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे स्वतंत्रता का सच्चा मानदंड कहा।
नई मॉड्यूल इस बात पर भी जोर देती है कि आज की तारीख में स्वदेशी केवल एक इतिहास नहीं है, बल्कि एक सामरिक सोच है। भारत ने हाल ही में अंतरिक्ष, रक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता पाई है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़े कदम माने जा सकते हैं। इन मॉड्यूल्स में स्वदेशी को आधुनिक योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत से जोड़ा गया है।
स्वदेशी का मतलब केवल देशी वस्तुएं खरीदना नहीं, उस विश्वास को मजबूत करना भी है, जो भारतीय ब्रांडों पर हो। उदाहरण के लिए अमूल (डेयरी), इसरो (अंतरिक्ष) और आयुर्वेद (स्वास्थ्य) को ऐसे ब्रांडों के रूप में बताया गया है, जिनका भरोसा दोनों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता है।
आधुनिक युग में स्वदेशी को डिजिटल रूप भी दिया गया है। मॉड्यूल्स में स्वदेशी एआई की अवधारणा पेश की गई है, जिसमें यह कहा गया है कि हमें विदेशी तकनीकों जैसे चैटजीपीटी या गूगल जेमिनी पर निर्भरता कम कर, अपनी एआई क्षमताएं विकसित करना चाहिए। इस तरह भारत अपनी डेटा संप्रभुता बनाए रख सकेगा। साथ ही स्थानीय जरूरतों - भाषा, कृषि, प्रशासन के अनुरूप समाधान दे सकेगा।