राज्यसभा में बुधवार को भी आॅपरेशन सिंदूर पर चर्चा जारी रही। आज भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा की शुरुआत की है। विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले के बाद सरकार की ओर से उठाए गए कदम गिनाए। उन्होंने सिंधु जल संधि स्थगित करने के फैसले को सबसे अहम करार दिया।
By: Arvind Mishra
राज्यसभा में बुधवार को भी ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा जारी रही। आज भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा की शुरुआत की है। विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले के बाद सरकार की ओर से उठाए गए कदम गिनाए। उन्होंने सिंधु जल संधि स्थगित करने के फैसले को सबसे अहम करार दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि आप जब ओलंपिक्स गए, किससे मिले, क्या बात की. मैं चीन गया था तो आतंकवाद पर बात की। मैंने किसी गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए। ये केवल चाइना गुरु करते हैं। कुछ लोग जो हैं, उनका चीन ज्ञान ओलंपिक्स जाने से हुआ। वहां गए, किससे मिले, क्या एमओयू किया, उसकी तो बात ही नहीं हुई। ओलंपिक्स की क्लासरूम में कुछ बातें छूट जाती हैं, प्राइवेट क्लासेज भी लेनी पड़ती हैं। ये चीनी एंबेस्डर को घर बुलाकर ट्यूशन लेते हैं। चीन गुरु कहते हैं कि चीन-पाकिस्तान साथ आ गए। हां, सही बात है। ये तब हुआ जब हमने पीओके छोड़ दिया। उन्होंने चीन पाकिस्तान संबंधों का इतिहास भी राज्यसभा में गिनाया। उन्होंने कहा कि ये रातों रात नहीं हुआ। ये कहना कि ये बस मुझे पता था, और किसी को जानकारी नहीं थी। इसका मतलब है कि आप हिस्ट्री की क्लास में सो रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना को किसी के साथ की जरूरत नहीं है। वह खुद ही सक्षम है। उन्होंने नूर खान एयरबेस से लेकर तमाम आतंकी और सैन्य ठिकानों पर हमलों में हुई तबाही का उल्लेख किया और कहा कि किसी का साथ की बात कहना सेना का अपमान होगा। विदेश मंत्री ने न्यू नॉर्मल और कांग्रेस नॉर्मल भी राज्यसभा में बताया। उन्होंने न्यू नॉर्मल के पांच पॉइंट बताए। उन्होंने चीन पाकिस्तान गठजोड़ को लेकरे कहा कि उन्होंने चाइना और इंडिया की एक संधि बना ली थी, चाइंडिया। हो सकता है कि चीन पर मेरे यहां से कुछ कमी हो। जिस देश के साथ हमारा युद्ध हो चुका है, उसे आप स्ट्रैटेजिक पार्टनर का दर्जा कैसे दे सकते हैं। चीनी कंपनियोंं को निमंत्रण दिया 3जी, 4जी के लिए। 2006 में जब हू जिंताओ भारत आए थे, तब रीजनल ट्रेड बढ़ाने के लिए समझौता हुआ और टास्क फोर्स की घोषणा हुई। टेलिकॉम जैसे सेंसिटिव काम के लिए आपने चीनी कंपनियों को निमंत्रण दिया और आप राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करते हैं। सबसे बड़ा नुकसान हमारे लिए।
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हम नहीं हैं। पाकिस्तान है, लेकिन यूएनएससी प्रमुख का बयान हमारे पक्ष में आया। रूस समेत कुछ देशों के बयान सदन में बताकर यह कह रहे थे कि इससे साफ होता है कि हमारी डिप्लोमेसी कितनी सफल रही है। इस पर विपक्ष की ओर से कुछ कहा गया, इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि जो लोग मुंबई पर चुप रहे, वो आज हमें ज्ञान दे रहे हैं कि क्या करें। विपक्ष के कई सदस्य सदन में खड़े हो गए और पॉइंट आफ आर्डर रेज किया। आसन से हरिवंश ने कहा कि सभी लोग खड़े हो गए हैं, किसको किसको अनुमति दूं। उन्होंने सुष्मिता देव को पॉइंट आफ आर्डर रेज करने के लिए कहा। सुष्पमिता देव का पॉइंट आफ आर्डर आसन ने रिजेक्ट कर दिया और कहा कि ये इरेलिवेंट है। हरिवंश ने विदेश मंत्री से सॉरी फॉर डिस्टर्ब यू, प्लीज कॉन्टिन्यू कहा। इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि सर हम डिस्टर्ब नहीं होते, डिस्टर्ब वो लोग होते हैं।
जयशंकर ने कहा कि दुनिया के किसी भी नेता ने कहीं से भारत को आॅपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बात नहीं हुई। हमारी अमेरिका, सऊदी अरब समेत कई देशों के साथ बातचीत हुई। सभी कॉल्स रिकॉर्ड पर हैं। मेरे सोशल मीडिया हैंडल पर भी है। हर किसी से हमने यही कहा कि यदि पाकिस्तान संघर्ष रोकना चाहता है, तो वह हमारे डीजीएमओ चैनल के जरिये हमसे निवेदन करे। जयराम रमेश ने बोलना शुरू कर दिया। आसन से हरिवंश ने उनको टोका और कहा कि यह सही परंपरा नहीं है। इस पर जयशंकर ने कहा कि उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें... 12 अप्रैल से 22 जून तक एक भी फोन कॉल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच नहीं हुई।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे टारगेट तय थे। हमने कार्रवाई की और यह भी साफ कर दिया कि भारत किसी की भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। अगर बात होगी, तो वह डीजीएमओ चैनल के जरिये ही होगी। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ से बात की और हमले रोकने की गुहार लगाई। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया और कहा कि उन्होंने आर्मी को एडवेंचर बना दिया। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा कर दिया। शक्ति सिंह गोहिल और संजय सिंह का नाम लेकर आसन से उपसभापति हरिवंश ने कहा कि आप अपनी बात कहेंगे और दूसरे की नहीं सुनेंगे, ये संसदीय मर्यादा नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में पहलगाम हमले के बाद सरकार की ओर से उठाए गए कदम गिनाए और कहा कि हमने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए। सिंधु जल समझौते को स्थगित किया। खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा। भारत ने आतंकवाद झेला। ये शांति नहीं, तुष्टिकरण की कीमत थी। इस संधि को मोदी सरकार ने रोका। दुनिया ने देखा कि भारत ने किस तरह से जवाब दिया। हमारे निशाने पर आतंकी और आतंकियों के ठिकाने थे। हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब किया।
जयशंकर ने आज ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत की है। विदेश मंत्री ने सिंधु जल समझौता स्थगित करने के फैसले को पहलगाम हमले के बाद उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि पाकिस्तान के साथ न जब दोस्ती थी, ना ही गुडविल, तो ऐसे सिंधु जल समझौते की जरूरत क्या थी। कहा गया कि ये शांति की कीमत थी। यह तुष्टिकरण की कीमत थी। इनको पंजाब, राजस्थान, हरियाणा के किसानों की चिंता नहीं थी। इनको पाकिस्तान के पंजाब के किसानों की चिंता थी।