कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पिछले 10 दिनों में तीसरी बार भारत चुनाव आयोग पर सियासी हमला बोला है। राहुल गांधी ने अब यहां तक कह दिया कि चुनाव आयोग मर चुका है। हम आने वाले कुछ दिनों में आपको साबित कर देंगे कि लोकसभा चुनाव में कैसे धांधली हो सकती है और हुई भी।
By: Arvind Mishra
Aug 02, 202523 hours ago
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पिछले 10 दिनों में तीसरी बार भारत चुनाव आयोग पर सियासी हमला बोला है। राहुल गांधी ने अब यहां तक कह दिया कि चुनाव आयोग मर चुका है। हम आने वाले कुछ दिनों में आपको साबित कर देंगे कि लोकसभा चुनाव में कैसे धांधली हो सकती है और हुई भी। भारत के पीएम के पास बहुत कम बहुमत है। अगर 10-15 सीटों पर भी धांधली न होती तो वे (नरेंद्र मोदी) भारत के प्रधानमंत्री भी नहीं होते। राहुल ने ये बातें शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एनुअल लीगल कॉन्क्लेव-2025 में कहीं। राहुल ने कांग्रेस पार्टी के एनुअल लीगल कॉन्क्लेव में कहा कि देश में चुनाव आयोग का अस्तित्व नहीं रह गया है। मैं हाल के इलेक्शन सिस्टम के बारे में बोल रहा हूं। मुझे हमेशा से शक था कि इसमें कुछ गड़बड़ है, 2014 से ही। मुझे गुजरात विधानसभा चुनाव में भी शक था। किसी एक पार्टी की लैंड स्लाइड विक्ट्री का ट्रेंड शक पैदा करता है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा-कांग्रेस पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात (लोकसभा चुनावों में) में एक भी सीट नहीं मिलती, ये मेरे लिए आश्चर्य की बात थी। जब भी हम बोलते थे तो लोग कहते थे, सबूत कहां है, फिर, महाराष्ट्र में कुछ हुआ। लोकसभा चुनाव में हम जीत गए और फिर चार महीने बाद, हम न सिर्फ हारे, बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गए। तीन मजबूत पार्टियां अचानक गायब हो गईं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि हमने चुनावी धांधलियों की गंभीरता से जांच शुरू की। हमें महाराष्ट्र में यह पता चला, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच एक करोड़ नए मतदाता सामने आते हैं। इनमें से ज्यादातर वोट भाजपा को जाते हैं। अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूं कि हमारे पास सबूत हैं। हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि चुनाव आयोग है ही नहीं।
राहुल ने कहा कि आयोग मतदाता सूची की डिजिटल प्रति उपलब्ध नहीं कराता। इन दस्तावेजों को स्कैन नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग ऐसी प्रतियां क्यों उपलब्ध कराएगा जिन्हें स्कैन नहीं किया जा सकता। एक लोकसभा क्षेत्र में हमने मतदाता सूची की जांच की और पाया कि 6.5 लाख मतदाताओं में से 1.5 लाख मतदाता फर्जी थे।