आतंक पर सेना के साथ ही ईडी और जीएसटी की टीम ने भी शिकंजा करना शुरू कर दिया है। ईडी और जीएसटी खुफिया महानिदेशालय की टीम ने संयुक्त रूप से पूर्व मंत्री बाबू सिंह के कठुआ स्थित परिसर में ड्रग्स से जुड़े धन शोधन की जांच के सिलसिले में एक साथ छापेमारी की।
By: Arvind Mishra
Nov 07, 202510:25 AM

श्रीनगर। स्टार समाचार वेब
आतंक पर सेना के साथ ही ईडी और जीएसटी की टीम ने भी शिकंजा करना शुरू कर दिया है। इस संयुक्त कार्रवाई में बड़े-बड़े और चौंकाने वाले चेहरे सामने आ रहे हैं। दरअसल, ईडी और जीएसटी खुफिया महानिदेशालय की टीम ने संयुक्त रूप से पूर्व मंत्री बाबू सिंह के कठुआ स्थित परिसर में ड्रग्स से जुड़े धन शोधन की जांच के सिलसिले में एक साथ छापेमारी की। यह मामला मादक पदार्थों से जुड़े धन शोधन से संबंधित है, जिसका पता सबसे पहले मार्च 2022 में चला था। जम्मू के वेयरहाउस से मोहम्मद शरीफ शाह नाम के एक व्यक्ति गिरफ्तार किया गया। जिसके पास से 6.69 लख रुपये बरामद किए गए। ये पैसा बाबू सिंह को दिया जाना था।
पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा
पूछताछ में पता चला कि इस धन का उद्देश्य जम्मू में अलगाववाद और अलगाववादी समूहों को विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वित्तपोषित करना था। पता चला कि बाबू सिंह इस पूरे नेटवर्क में शामिल था। जो जम्मू कश्मीर को एक अलग देश बनाने की साजिश रच रहा था।
पूर्व मंत्री जमानत पर बाहर
पूर्व मंत्री बाबू सिंह गिरफ्तार हुआ। अब फिलहाल जमानत पर है। वीरवार सुबह करीब 7 बजे टीम बाबू सिंह के घर पहुंची। स्थानीय पुलिस ने बाबू सिंह को घेर लिया। छापे के दौरान बाबू सिंह घर नहीं थे। टीमों ने उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की।
नार्को-आतंकवादी मॉड्यूल
बैंक खातों, संपित्तयों से संबंधित दस्तावेज जांचे। जांच टीम जाते वक्त कई तरह के दस्तावेज अपने साथ ले गई। बाबू सिंह सैफ दीन, फारूक अहमद नाइकू, मुबाशिर मुश्ताक फाफू के साथ मिलकर पाकिस्तान स्थित गुर्गे विध्वंसक गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए एक नार्को-आतंकवादी मॉड्यूल चला रहे थे।
दो करोड़ खातों में जमा कराए
नाइकू ने एक नार्को-टेरर फंडिंग नेटवर्क का संचालन किया, जिसके तहत 2021-22 के दौरान पाकिस्तान से तस्करी करके लाई गई हेरोइन भारत में बेची गई और इन बिक्री से प्राप्त नकदी 2 करोड़ रुपए से अधिक श्रीनगर के स्थानीय बैंक खातों में जमा की गई।
आतंकियों तक पहुंचाया पैसा
धनराशियों को दुबई में काम करने वाले भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया, जो धन के स्रोत को छिपाने के लिए अवैध वाहक के रूप में काम करते थे। अपराध की आय को दुबई में निकाला और जमा किया गया और आगे पाकिस्तान से सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों तक पहुंचाया गया।