गड़कर ने कहा कि इन बसों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले महाराष्ट्र के नागपुर में शुरू किया जाने वाला है। इसके बाद इसे दिल्ली-मुंबई समेत देश के अन्य शहरों में भी चलाया जाएगा। मेट्रो की कॉस्ट प्रति किलोमीटर 450 करोड़ है और इस बस की कॉस्ट 2 करोड़ है, तो इसका टिकट डीजल बस की तुलना में 30 फीसदी कम होगा।
By: Arvind Mishra
Aug 08, 20253 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत में जल्द 135 सीटर बस चलने वाली है, जिसमें हवाई जहाज जैसी सुविधाएं मिलेंगी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मेट्रो अहम रोल निभा रही है, लेकिन अब सरकार की तैयारी 135 सीटर बसें चलाने की है, ये फ्लैश चार्जिंग बस होंगी। जो कॉस्ट के मामले में मेट्रो से सस्ती होगी और लग्जरी सुविधाओं से लैस होगी। यह घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक निजी चैनल से विशेष बातचीत के दौरान की। गड़कर ने कहा कि इन बसों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले महाराष्ट्र के नागपुर में शुरू किया जाने वाला है। इसके बाद इसे दिल्ली-मुंबई समेत देश के अन्य शहरों में भी चलाया जाएगा।
मेट्रो की कॉस्ट प्रति किलोमीटर 450 करोड़ है और इस बस की कॉस्ट 2 करोड़ है, तो इसका टिकट डीजल बस की तुलना में 30 फीसदी कम होगा। एयरकंडीशन बस होगी, एग्जिक्युटिव चेयर्स होंगी और हवाई जहाज की तरह इसमें खाने-पीने का सामान भी मिलेगा। दिल्ली से जयपुर, दिल्ली से देहरादून और चेन्नई से बेंगलुरु में भी शुरू करेंगे।
135 सीटर बसों के प्लान के बारे में बताने के साथ ही उन्होंने पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में एक और बड़े बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि हम 360 रोपवे केबल कार बनाने पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमने हाइड्रोडन प्यूल को लेकर 10 प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इसके तहत टाटा ने एक हाइड्रोजन फ्यूल पर चलने वाला ट्रक भी बनाया है। ग्रीन हाइड्रोजन बनाने से लेकर इससे चलने वाले वाहनों का निर्माण हमारे प्रमुख कामों में शामिल है। इसका सीधा असर आने वाले समय में आपको ट्रासपोर्टेशन के ऊपर देखने को मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में 40 हजार करोड़ के नए काम कर रहे हैं। हमने कई टारगेट सामने रखे हैं और इनमें एक खास ये है कि हम रोड बनाने की अपनी कैपेसिटी को बढ़ाने वाले हैं और आगे जाकर 100 किलोमीटर रोड प्रति दिन बनाएंगे। इस साल साल 2.5 लाख करोड़ के काम किए हैं, 10 लाख करोड़ के काम अभी करना है। अगर 1 रुपए का खर्च रोड इंफ्रास्ट्रक्चर में होता है, तो उससे तीन रुपए आते हैं।
गडकरी ने आईआईटी के रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि भारत की लॉजिस्टिक कॉस्ट में लगातार कमी आ रही है और पहले ये 16 परसेंट थी, लेकिन इसमें 6 फीसदी की गिरावट आई है। इस साल दिसंबर तक अच्छे रोड बनने के कारण ये 9 फीसदी पर पहुंच सकती है और इससे अच्छी सड़कों से जहां एक्सपोर्ट आसान होगा, तो इकोनॉमी की ग्रोथ में भी इससे मदद मिलेगी।