By: Sandeep malviya
Jun 04, 20255:27 PM
हनोई । वियतनाम ने मंगलवार (स्थानीय समयानुसार) को अपनी दो बच्चों की सीमा को खत्म कर दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि इस नियम के चलते जन्म दर घट रही है और बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह स्थिति देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा बन रही है। इस पर रोक लगाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक, वियतनाम की संसद ने उन नियमों को खत्म करने के लिए संशोधन पारित किए हैं, जो परिवारों को एक या दो बच्चे पैदा करने की सीमा तय करते हैं।
2021 के बाद से लगातार घट रही जन्म दर
पिछले कुछ सालों में वियतनाम में जन्म दर लगातार कम हो रही है। 2021 में जन्म दर प्रति महिला 2.11 बच्चे थी, जो लंबे समय में जनसंख्या को कम होने से बचाने के लिए आवश्यक प्रतिस्थापन दर से थोड़ा अधिक थी। हालांकि, इसके बाद से जन्म दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। यह संख्या 2022 में घटकर 2.01 बच्चे, 2023 में 1.96 और 2024 में 1.91 बच्चे रह गई।
इन एशियाई देशों में भी जन्म दर बहुत कम
वियतनाम कम प्रजनन दर वाला एकमात्र एशियाई देश नहीं है। जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर में भी जन्म दर बहुत कम है। हालांकि, इन देशों की तुलना में वियतनाम अभी भी एक विकासशील अर्थव्यवस्था है।
अच्छी परवरिश और सर्वोत्तम शिक्षा देने के लिए पैदा किया एक ही बच्चा: गुयेन
वियतनाम की राजधानी हनोई की एक 37 वर्षीय महिला गुयेन थू लिन्ह ने बताया कि उन्होंने केवल एक ही बच्चा पैदा करने का इसलिए फैसला लिया, क्योंकि वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि वे अपने छह वर्षीय बेटे को अच्छी परवरिश और सर्वोत्तम शिक्षा दे सकें। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मैं एक और बच्चा पैदा करने के बारे में सोचती हूं, लेकिन ऐसा करने से पैसों और समय का दबाव बढ़ जाता है। वियतनाम ने 1988 में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने से परिवारों को रोकने के लिए नियम बनाए थे। इसके पीछे का मकसद यह था कि महिलाएं बच्चों की देखभाल के इतर काम पर ज्यादा समय दे सकें।
वियतनाम की स्वर्णिम जनसंख्या अवधि
वियतनाम की स्वर्णिम जनसंख्या अवधि 2007 से 2039 तक मानी जाती है, जब देश में काम करने वालों की संख्या ज्यादा और बुजुर्गों आबादी कम होगी। हालांकि, 2042 तक इस संख्या के चरम पर पहुंचने की संभावना है और 2054 से आबादी घटने लगेगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है क्योंकि काम करने वाले लोग कम हो जाएंगे और बुजुर्गों की देखभाल का खर्च बढ़ेगा।