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जानिए.. पदोन्नति में SC/ST आरक्षण पर मध्य प्रदेश के नए नियम क्या हैं?

मध्य प्रदेश सरकार ने पदोन्नति नियम-2025 को अंतिम रूप दे दिया है, जो अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए पदोन्नति में आरक्षण में बड़ा बदलाव करने वाला है।

By: Ajay Tiwari

Jun 26, 20252:15 PM

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जानिए.. पदोन्नति में SC/ST आरक्षण पर मध्य प्रदेश के नए नियम क्या हैं?

खास बिंदू..

  • पदोन्नति में आरक्षण में बड़ा बदलाव होगा एमपी में 
  • स्थायी नहीं होगा आरक्षण, 5 साल में होगा पुनर्मूल्यांकन
  • विशेष परिस्थितियाँ में अनुमोदन सीएस की कमेटी करेगी


भोपाल. स्टार समाचार वेब.
मध्य प्रदेश सरकार ने पदोन्नति नियम-2025 को अंतिम रूप दे दिया है, जो अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए पदोन्नति में आरक्षण में बड़ा बदलाव करने वाला है। नए नियमों के तहत, SC और ST वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण तो मिलेगा, लेकिन स्थायी नहीं रहेगा। इसके बजाय, प्रत्येक संवर्ग में आरक्षण का निर्धारण प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर पांच साल की अवधि के लिए किया जाएगा।

जिम्मेदारी सीएस की कमेटी को

नए नियमों के अनुसार, यदि किसी संवर्ग में SC/ST वर्ग का प्रतिनिधित्व निर्धारित आरक्षण सीमा से अधिक पाया जाता है, तो उस संवर्ग में आरक्षण को कम भी किया जा सकता है। इस महत्वपूर्ण निर्णय और उसके निर्धारण की जिम्मेदारी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति को सौंपी गई है।

आरक्षण का प्रतिशत और निर्धारण प्रक्रिया

पदोन्नति में SC वर्ग के लिए 16 % और ST वर्ग के लिए 20 % पद आरक्षित रखे जाएंगे। इन आरक्षित पदों की गणना और पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए, विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक से पहले ही संवर्ग में आरक्षित वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के पदों की गणना की जाएगी। गणना और पदों की संख्या का निर्धारण विभागीय मंत्री, विभागाध्यक्ष और सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव स्तर के अधिकारियों की एक समिति द्वारा किया जाएगा। समिति में SC/ST वर्ग से अनिवार्य रूप से एक सदस्य शामिल होगा।

विशेष परिस्थितियाँ में अनुमोदन 

नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी संवर्ग में कोई विशेष परिस्थिति नहीं होती है, तो SC/ST के लिए कुल आरक्षण 36 % पर बना रहेगा। हालांकि, यदि प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आकलन के आधार पर कोई विभाग किसी संवर्ग में आरक्षण कम करने का निर्णय लेता है, तो ऐसे किसी भी बदलाव के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति का अनुमोदन अनिवार्य होगा।

न्यायिक निर्देशों का पालन 

एक बार निर्धारित किया गया आरक्षण पांच साल की अवधि के लिए लागू रहेगा। इस अवधि के बाद, स्थिति का फिर से आकलन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार आरक्षण में परिवर्तन किए जा सकेंगे। यह नया प्रावधान उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के उन निर्णयों के अनुरूप है, जिनमें आरक्षण के निर्धारण के लिए प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता जैसे कारकों को ध्यान में रखने का निर्देश दिया गया था।

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