मेडिकल और डेंटल की परीक्षा हिंदी में देने वाले छात्र-छात्राओं को अब परीक्षा फीस में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इसके अलावा यदि वे ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा में मैरिट में आते हैं तो उसमें भी नगद पुरस्कार मिलेगा। मप्र आयुर्विज्ञान विवि जबलपुर ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
By: Arvind Mishra
Jul 04, 20251 hour ago
मेडिकल और डेंटल की परीक्षा हिंदी में देने वाले छात्र-छात्राओं को अब परीक्षा फीस में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इसके अलावा यदि वे ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा में मैरिट में आते हैं तो उसमें भी नगद पुरस्कार मिलेगा। मप्र आयुर्विज्ञान विवि जबलपुर ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इस फैसले के साथ मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने मेडिकल-डेंटल परीक्षाओं में मातृभाषा के प्रयोग को न केवल बढ़ावा दिया है, बल्कि प्रत्यक्ष लाभ और पुरस्कार भी तय किए हैं। यह कदम मेडिकल शिक्षा में भाषाई समावेशन और विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा। दरअसल, मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने मेडिकल और डेंटल छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब से जो छात्र-छात्राएं मातृभाषा में परीक्षा देंगे, उन्हें परीक्षा शुल्क में आधी फीस ही देनी होगी। यह निर्णय इसी शैक्षणिक सत्र की परीक्षाओं से लागू होगा और इसका लाभ 25,000 से ज्यादा विद्यार्थियों को मिलेगा। यही नहीं, जो छात्र-छात्राएं हिंदी माध्यम से परीक्षा देकर मेरिट में आएंगे, उन्हें नकद इनाम और विशेष उपाधियां भी मिलेंगी। यह देश में पहली बार हो रहा है जब किसी मेडिकल विवि ने मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए इतने व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन योजना लागू की है।
जो छात्र-छात्राएं हिंदी में परीक्षा देंगे उन्हें परीक्षा शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वहीं ग्रेजुएट छात्रों के लिए सामान्यत 6000 का शुल्क अब 3000 में, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए 15000 का शुल्क अब 7500 में रहेगा। इसका लाभ उन्हें मिलेगा जो परीक्षा हिंदी में देंगे।
यह अधिसूचना मध्य प्रदेश के 28 मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में लागू होगी। जिसमें 20 मेडिकल कॉलेज और 8 डेंटल कॉलेज हैं। परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया एक माह बाद शुरू होगी। वहीं यदि कोई छात्र सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा भी मातृभाषा में देता है, तो उसे भी यह लाभ और पुरस्कार मिलेगा।
अब छात्र परीक्षा फॉर्म भरते समय स्पष्ट रूप से बता सकेंगे कि वे परीक्षा हिंदी में देना चाहते हैं। इससे पहले यह जानकारी केवल उत्तर पुस्तिका देखकर ही पता चलती थी, जिससे छात्रों की सही संख्या का आकलन नहीं हो पाता था।
हाल ही में राज्यसभा की राजभाषा समिति के 11 सांसदों ने विवि की इस पहल की सराहना की और कहा कि यह पूरे देश के लिए मॉडल बनेगा। कुलपति प्रो. अशोक खंडेलवाल स्वयं कॉलेजों में जाकर प्रोफेसरों और छात्रों को हिंदी में परीक्षा की ट्रेनिंग दे रहे हैं। कॉलेजों से उन छात्रों की लिस्ट मांगी जा रही है जो स्वेच्छा से हिंदी में परीक्षा देना चाहते हैं।
प्रथम स्थान: 2 लाख + मातृभाषा रत्न
द्वितीय स्थान: 1.5 लाख + मातृभाषा विभूषण
तृतीय स्थान: 1 लाख + मातृभाषा श्री
प्रथम-1 लाख
द्वितीय-75,000
तृतीय-50,000
चतुर्थ-25,000