न्यूजीलैंड सांसद क्लो स्वारब्रिक को गाजा मुद्दे पर सरकार के सांसदों को स्पाइनलेस कहने और माफी से इनकार करने पर लगातार दूसरे दिन संसद से बाहर कर दिया गया। उन्हें वेतन कटौती और निलंबन की सजा भी दी गई। विपक्ष ने इसे कठोर और दोहरे मानदंड का उदाहरण बताया। विवाद के बीच प्रधानमंत्री लक्सन ने इजरायल की आलोचना की और कहा कि फिलिस्तीन मान्यता का फैसला सितंबर में लिया जाएगा।
By: Sandeep malviya
Aug 13, 202510 hours ago
वेलिंगटन। न्यूजीलैंड की ग्रीन पार्टी की सह-नेता और विपक्षी सांसद क्लो स्वारब्रिक को संसद में गाजा युद्ध को लेकर हुए विवादित बयान के चलते लगातार दूसरे दिन सदन से बाहर कर दिया गया। उन्होंने सरकार के सांसदों को 'स्पाइनलेस' (रीढ़ के बिना) कहकर चुनौती दी थी कि वे इस्राइल पर प्रतिबंध लगाने के उनके प्रस्ताव का समर्थन करें। स्वारब्रिक को पहले तीन दिन का बैन दिया गया था, लेकिन वह अगले ही दिन वापस आईं और माफी से इनकार करने पर दोबारा बाहर कर दी गईं।
मंगलवार को गाजा मुद्दे पर चर्चा के दौरान स्वारब्रिक ने कहा कि अगर 68 सरकारी सांसदों में से छह में भी रीढ़ है, तो वे इतिहास के सही पक्ष में खड़े होकर इस्राइल पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। संसद के स्पीकर गेरी ब्राउनली ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए बयान वापसी और माफी की मांग की। स्वारब्रिक के इनकार करने पर उन्हें सप्ताहभर के लिए सदन से बाहर कर दिया गया। बाहर जाते समय उन्होंने 'हैप्पिली' कहते हुए कदम बढ़ाए।
दूसरे दिन फिर टकराव और सख्त कार्रवाई
बैन के बावजूद स्वारब्रिक बुधवार को सदन में लौट आईं। ब्राउनली ने फिर माफी मांगी, लेकिन उन्होंने दोबारा इनकार कर दिया और ह्लफ्री फलस्तीनह्व का नारा लगाते हुए बाहर निकल गईं। इसके बाद संसद में दुर्लभ मानी जाने वाली कार्रवाई करते हुए उन्हें औपचारिक रूप से ह्यनेमह्ण किया गया, जिसके तहत वेतन कटौती और निलंबन लागू होता है। यह प्रस्ताव सरकार के सभी सांसदों के समर्थन से पारित हुआ।
विपक्ष ने सरकार पर लगाया आरोप
विपक्षी सांसदों ने इस कार्रवाई को बेहद कठोर बताया। उन्होंने उदाहरण दिए कि पहले भी कई सांसदों ने विरोधी सदस्यों को ह्लस्पाइनलेसह्व कहा, लेकिन इतनी सख्ती नहीं हुई। लेबर पार्टी के नेता क्रिस हिपकिंस ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी सांसद को एक ही अपराध के लिए दो दिन लगातार बाहर किया गया है। कुछ मामलों में गाली-गलौज करने वाले सांसदों को भी इतनी सजा नहीं दी गई।
फलस्तीन मान्यता पर दबाव
इस विवाद के बीच प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कड़ी आलोचना की और कहा कि वे ह्लह्यूमन कैटास्ट्रॉफीह्व (मानवीय तबाही) को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात नहीं सुन रहे। लक्सन ने साफ किया कि न्यूजीलैंड द्वारा फलस्तीन को मान्यता देने का फैसला ह्लकबह्व का है, ह्लअगरह्व का नहीं, लेकिन अंतिम निर्णय सितंबर में लिया जाएगा। आॅस्ट्रेलिया ने हाल ही में फलस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया है और फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसा कर सकते हैं।