राम माधव ने कहा-हम सभी आरएसएस कार्यकर्ता खुश हुए, लेकिन केवल हम ही नहीं, बल्कि संगठन का समर्थन करने वाले अन्य लोग भी संतुष्ट हुए। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से संघ अपना 100वां वर्ष शुरू करने जा रहा है और बीते 100 सालों में यह संगठन लगातार मजबूत हुआ है।
By: Arvind Mishra
भारत को कोई भी परमाणु धमकी डरा नहीं सकती। हमें ट्रंप की शैली को समझना चाहिए, जैसे उन्होंने उत्तर कोरिया से संवाद किया था। इसी तरह भारत भी अपने हितों को ध्यान में रखते हुए दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। यह बात आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने कही। दरअसल, उन्होंने पाकिस्तान आर्मी चीफ आसीम मुनीर की परमाणु धमकी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों तक पर खुलकर अपनी राय रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में संघ का जिक्र किया था। इस पर राम माधव ने कहा-हम सभी आरएसएस कार्यकर्ता खुश हुए, लेकिन केवल हम ही नहीं, बल्कि संगठन का समर्थन करने वाले अन्य लोग भी संतुष्ट हुए। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से संघ अपना 100वां वर्ष शुरू करने जा रहा है और बीते 100 सालों में यह संगठन लगातार मजबूत हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के मुद्दे पर भी राम माधव ने कहा-ट्रंप एक ट्रांजेक्शनलिस्ट हैं। ट्रांजेक्शनलिस्ट का मतलब एक ऐसे शख्स से हं,ै जो बड़े गठबंधनों या साझा मूल्यों के बजाय किली विशेष, द्विपक्षीय संबंधों और सौदों पर फोकस करते हैं। ट्रंप का उद्देश्य केवल अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। राम माधव ने यह भी कहा कि भारत इस चुनौती से निपटने में असफल नहीं रहा है। भारत कई कदम उठा रहा है और हर निर्णय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही लिया जा रहा है।
राम माधव ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई सालों से कांग्रेस राजनीतिक कारणों से संघ का विरोध करती आई है। कांग्रेस और कुछ अन्य लोग सार्वजनिक रूप से संघ का विरोध करके राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं, लेकिन आरएसएस उन सभी का विरोध करता है जो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ खड़े होते हैं।
अक्सर उठने वाले सवाल पर कि क्या भाजपा और आरएसएस में कोई मतभेद है, राम माधव ने स्पष्ट किया कि दोनों संगठन एक ही वैचारिक परिवार से जुड़े है। भाजपा राजनीतिक काम करती है, जबकि संघ समाज में लोगों के बीच काम करता है। इसलिए दोनों के बीच किसी तरह का टकराव या मतभेद नहीं है।