नवरात्रि शुरू होते ही दशहरा नजदीक आने के साथ ही देशभर में रामलीला की तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई हैं। मंचन के लिए पात्रों का चयन भी हो चुका है, लेकिन पुरानी दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी का किरदार देने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है।
By: Arvind Mishra
Sep 22, 2025just now
भोपाल/ नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
नवरात्रि शुरू होते ही दशहरा नजदीक आने के साथ ही देशभर में रामलीला की तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई हैं। मंचन के लिए पात्रों का चयन भी हो चुका है, लेकिन पुरानी दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार देने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। इस चयन के खिलाफ साधु-संतों ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि कुछ इसे कला और आध्यात्मिक परिवर्तन के नजरिए से स्वीकार रहे हैं। दरअसल, दिल्ली की विख्यात लवकुश रामलीला आरंभ से पहले ही विवादों में गिर गई है। इसकी वजह पूनम पांडे को रामलीला में दिया जाने वाला किरदार है। इस बार की लव कुश रामलीला में पूनम पांडे को मंदोदरी बनाया जाएगा। यह जानकारी मिलते ही संत समाज ने मोर्चा खोल दिया है। मध्य प्रदेश के चर्चित कंप्यूटर बाबा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा-पूनम पांडे को मंदोदरी नहीं, बल्कि सूर्पनखा बनाना चाहिए।
दरअसल, पूनम पांडे की बोल्ड छवि को लेकर वह हमेशा सुर्खियों में बनी रहती हैं, लेकिन अचानक से उन्हें दिल्ली में आज रात से शुरू होने जा रही लव कुश रामलीला में मंदोदरी का पात्र दिया गया है।
जब कंप्यूटर बाबा से इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-पूनम पांडे को मंदोदरी नहीं बल्कि सूर्पनखा का पत्र निभाना चाहिए। रामलीला के अध्यक्ष को इतने दिन हो गए रामलीला करते-करते, लेकिन उन्हें बुद्धि नहीं आई कि आपको किसको क्या पात्र देना चाहिए।
कंप्यूटर बाबा ने कहा-पूनम पांडे को मंदोदरी का नहीं, बल्कि सूर्पनखा का पात्र देना चाहिए। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि सूर्पनखा ब्राह्मण थी, रावण की बहन थी और मंदोदरी की ननद थी। रामलीला के अध्यक्ष से मैं अनुरोध करता हूं कि जो जैसा है उसको वैसा ही पात्र बनाया जाए।
इधर, महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने कहा-चित्र और चरित्र में अंतर होता है। पूनम पांडे अगर मंदोदरी का किरदार निभाती हैं और रामायण का अध्ययन करती हैं, तो उनके जीवन में आध्यात्मिक बदलाव आ सकता है। मैंने 2019 में अपने कैंप में राखी सावंत को आमंत्रित किया था, जहां उन्होंने कृष्ण और राधा के भक्ति गीतों पर नृत्य किया। इससे उनके अंदर भारतीय वेदांत की महत्ता का अनुभव हुआ।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा-रामलीला समितियों से हमारी अपील है कि वे शालीनता बनाए रखें। कलाकारों की पृष्ठभूमि और आचरण का ध्यान रखा जाना चाहिए, ताकि रामलीला की प्रतिष्ठा को ठेस न पहुंचे। सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी है, ताकि गलत संदेश न जाए।
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा-मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक है, जो मर्यादा और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसे में किसी को भी यह किरदार देना उचित नहीं। रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ है। इसके पात्रों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए। इस तरह के कृत्य से धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।