मध्यप्रदेश में 83 प्राइवेट कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी गई है। साथ ही कॉलेजों में एडिमशन पर रोक लगा दी है। इन फर्जी कॉलेजों में जीवीजी और रीवा यूनिर्सिटी के सबसे ज्यादा कॉलेज शामिल हैं। कई विश्वविद्यालयों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर प्राइवेट कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
By: Arvind Mishra
Jun 30, 20251 hour ago
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में 83 प्राइवेट कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी गई है। साथ ही कॉलेजों में एडिमशन पर रोक लगा दी है। इन फर्जी कॉलेजों में जीवीजी और रीवा यूनिर्सिटी के सबसे ज्यादा कॉलेज शामिल हैं। दरअसल, प्रदेश में जीवाजी यूनिवर्सिटी समेत कई विश्वविद्यालयों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर प्राइवेट कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इनमें ग्वालियर का एक कॉलेज तो खेत में संचालित बताया गया है। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग की जांच में 83 प्राइवेट कॉलेज में अनियमितताएं पाई गईं। अब सरकार ने इन फर्जी कॉलेजों की संबद्धता खत्म कर दी है और नए सत्र के एडमिशन पर रोक लगा दी है। ग्वालियर के मुरार का विंग्स कॉलेज जीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध है। यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों में इसका पता दर्ज है- रतवई, चितौरा रोड, मुरार, ग्वालियर। यहां बीए, बीकॉम और बीएससी की डिग्री दी जाती हैं। पांच साल पहले 2020 में कॉलेज शुरू हुआ था। अब तक यहां से 900 छात्र डिग्री ले चुके हैं। अब इस कहानी में ट्विस्ट ये है कि इस कॉलेज का कोई अस्तित्व ही नहीं है। कॉलेज का जो पता दर्ज है, वहां पहुंचने पर खेत नजर आता है। ये कोई इकलौता कॉलेज नहीं है, जो बिना बिल्डिंग के चल रहा है, बल्कि उच्च शिक्षा विभाग ने ऐसे 83 फर्जी प्राइवेट कॉलेज पकड़े हैं। जहां अलग-अलग तरह की अनियमितताएं हैं। किसी की बिल्डिंग नहीं है तो कोई एक कमरे में चल रहा है। अब इन कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है।
दरअसल, जनवरी में उच्च शिक्षा विभाग की टीम ने मध्यप्रदेश की 9 यूनिवर्सिटी से संबद्ध 729 प्राइवेट कॉलेजों का भौतिक निरीक्षण किया तो ये गड़बड़ी सामने आई। हैरानी की बात ये है कि इन कॉलेजों का हर साल यूनिवर्सिटी स्तर पर इंस्पेक्शन हो रहा था और यूनिवर्सिटी की टीम इन्हें मान्यता दे रही थी। गड़बड़ी सामने आने के बाद मान्यता देने वाली यूनिवर्सिटी भी सवालों के घेरे में है।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग ने जून के दूसरे सप्ताह में प्रदेश के 95 निजी कॉलेजों की मान्यता निरस्त की थी। इसका कारण कुछ नए कॉलेजों के दस्तावेजों का पूरा ना होना है। इन कॉलेजों ने हायर एजुकेशन विभाग के जारी किए हुए नए नियमों का पालन नहीं किया, जिसके चलते इनकी मान्यता निरस्त कर दी गई थी।
कुछ कॉलेजों की जमीन से जुड़े मामलों में भी गड़बड़ी पाई गई है। कई संस्थाओं ने जमीन संचालन संस्था के नाम पर न दिखाकर किसी व्यक्ति के नाम पर दर्शाई, जबकि नियमों के अनुसार कॉलेज की जमीन संस्था के नाम होनी चाहिए। भोपाल सहित कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं। यदि जांच में यह पाया गया कि जमीन संस्था के नाम नहीं है, तो संबंधित कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी जाती है।