भारतीय सेना के अपाचे एएच-64ए हमलावर हेलीकॉप्टरों की पहली खेप आखिरकार भारत पहुंच ही गई। ये तीन हेलीकॉप्टर अमेरिकी परिवहन विमान के जरिए हिंडन एयरबेस पर उतरे हैं। 5000 करोड़ के सौदे के तहत भारत को छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने थे, लेकिन आपूर्ति में देरी की वजह से 15 महीने का इंतजार करना पड़ा।
By: Arvind Mishra
Jul 22, 20252 hours ago
भारतीय सेना के अपाचे एएच-64ए हमलावर हेलीकॉप्टरों की पहली खेप आखिरकार भारत पहुंच ही गई। ये तीन हेलीकॉप्टर अमेरिकी परिवहन विमान के जरिए हिंडन एयरबेस पर उतरे हैं। लगभग 5000 करोड़ के सौदे के तहत भारत को छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने थे, लेकिन आपूर्ति में देरी की वजह से 15 महीने का इंतजार करना पड़ा। अब ये हेलीकॉप्टर जोधपुर में तैनात होंगे, जहां आपरेशन सिंदूर के बाद पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान बॉर्डर) पर ताकत बढ़ाने की जरूरत है। दरअसल, दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा करेगा। बोइंग कंपनी द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टरों की पहली खेप भारत आ गई है। भारतीय सेना ने बताया कि अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर की पहली डिलीवरी हो गई है। भारतीय सेना इन हेलीकॉप्टरों को जोधपुर में तैनात करेगी। इससे भारतीय सेना की मजबूती में चार चांद लग गए हैं। सेना ने भी अपाचे की एंट्री पर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया है।
अपाचे दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टर है। यह एक नाइट विजन एयरक्राफ्ट है। अमेरिकी रक्षा दिग्गज कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित यह हेलीकॉप्टर आधुनिक संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणाली से लैस है। यह एक नाइट विजन एयरक्राफ्ट है। साथ ही पायलटों को दिन और रात दोनों स्थितियों में लक्ष्यों की पहचान करने और उन पर हमला करने में मदद करता है। इसके जरिये बारिश, धूल या कोहरे के कारण खराब दृश्यता में भी हमला किया जा सकता है।
अपाचे 21 हजार फीट की ऊंचाई तक 280 किमी प्रतिघंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसमें 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल छोड़ने की क्षमता है। इसमें 30 मिलीमीटर की दो गन हैं, जिनमें एक बार में 1,200 गोलियां भरी जाती हैं। अपाचे में 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल लगी होती हैं। हेलफायर मिसाइल किसी भी आर्मर्ड व्हीकल जैसे टैंक, तोप, बीएमपी वाहनों को पल भर में उड़ा सकती है।
भारत ने 2015 के एक समझौते के तहत भारतीय वायु सेना के लिए 22 अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदे थे। इसके बाद फरवरी 2020 में भारत ने बोइंग से 60 करोड़ डॉलर के सौदे में छह एएच-64ए अपाचे की खरीद को मंजूरी दी थी। अब भारत को मिले अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की एविएशन कोर के लिए हैं। अपाचे वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, इस्राइल, मिस्र जैसे देशों की सेनाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं।
अपाचे स्ट्रिंगर मिसाइल हवा से आने वाले किसी भी खतरे का सामना करने में सक्षम है। इस हेलीकॉप्टर को दुश्मनों का रडार भी आसानी से पकड़ नहीं पाता है। जिसका प्रमुख कारण हेलीकॉप्टर की सेमी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है। इसमें अत्याधुनिक लांगबो रडार लगा हुआ है जिससे यह नौसेना के लिए भी मददगार साबित होगा।
युद्ध के मैदान में अपाचे हेलीकॉप्टर न केवल वायुसेना बल्कि थलसेना का भी मददगार है। यह युद्ध में आर्मी स्ट्राइक कोर के हमले को एविएशन कवर देते हुए उसे और खतरनाक बनाएगा। इसमें दो पायलट एक के पीछे एक बैठते हैं। दो पायलट के साथ अपाचे दुश्मन के दांत खट्टे करने में सक्षम है। एक पायलट हेलीकाप्टर आपरेट करता है, जबकि पीछे बैठा को-पॉयलट टारगेट को लोकेट करता हुआ सिस्टम वैपन एंड इंक्यूपमेंट्स को कंट्रोल और आपरेट करता है।
लॉन्गबो रडार: इसका फायर कंट्रोल रडार दुश्मन के ठिकानों को दूर से भांप लेता है, यहां तक कि रात में या खराब मौसम में भी।
ड्रोन कंट्रोल: ये ड्रोन को रिमोट से कंट्रोल कर सकता है, जैसे टद-1उ ग्रे ईगल, जिससे जासूसी और हमले आसान हो जाते हैं।
खास डिजाइन: इसमें उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और कॉम्पोजिट रोटर ब्लेड्स हैं, जो इसे रेगिस्तानी और ऊंचाई वाले इलाकों के लिए बेहतरीन बनाते हैं।
सुरक्षा: इसका स्टील्थ डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम इसे रडार और मिसाइलों से बचाता है।
2024 में मिलने थे: भारत ने फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था, जिसमें छह अपाचे मई-जून 2024 तक मिलने थे।
आपूर्ति की दिक्कत: बोइंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावटों को वजह बताया। कोविड के बाद, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हथियारों के पुर्जों की कमी हो गई।
खराबी: बोइंग को अपाचे के इलेक्ट्रिकल पावर जनरेटर में खराबी मिली, जिससे कॉकपिट में धुआं जमा होने का खतरा था, इसकी वजह से सभी डिलीवरी रोक दी गईं।
तीन अक्टूबर में आएंगे: पहली खेप जून 2024 में आने वाली थी, फिर दिसंबर तक टल गई। अब जुलाई 2025 में तीन अपाचे पहुंचे हैं। बाकी तीन अक्टूबर-नवंबर 2025 तक आएंगे।